Page 41 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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गया। ;यeतह ने आXचय0 से पीछे देखा तो बेट% को परेशान और दुखी मुा म.
देखते ह% जैसे उसके बदन पर पहाड़ ट ू ट पड़े। उसने तुर#त ह% अपनी बेट% को
गले से vचपका 5लया और फ ू ट-फ ू टकर रोने लगा। अपने बहादुर और शूरवीर जैसे
Eपता को यूं रो-रोकर आंसू बहाते देख खुद ;यeतह क1 बेट% भी रो पड़ी। तब
+कसी कार अपने को संय5मत करते हये उसक1 बेट% बोल%,
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'अoबा ! ऐसा म8ने =या कर दया है +क आपक1 आंखJ म. आंसू भी आ
गये?'
'नह%ं बेट%, नह%ं। तूने क ु छ भी नह%ं +कया है। जो क ु छ भी +कया है, उसका
म8 ह% िज?मेदार हं। चल ! घर चल, म8 तुझे बहत जद% सब बता दूंगा।'
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कहते हये ;यeतह अपनी बेट% को मनाकर घर ले आया। तब उस दन तो
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=या, कई दनJ तक ;यeतह के होठJ पर अपनी बेट% को बताने के 5लये कोई
बात ह% नह%ं आ सक1। ले+कन एक दन परमेXवर से उसने घुटनJ के बल बैठकर
ाथ0ना क1, उसे साहस 5मला और सार% बात उसने अपनी पु(ी को बता द%।
उसने बता दया +क अ?मो;नयJ पर क1 जीत का उपहार, खुद उसक1 बेट% क1
ब5ल के वारा, उसने परमेXवर को अEप0त करने का वचन दया है। यह सुनकर
;यeतह क1 बेट% के तलुओं से जैसे अचानक ह% ज़मीन Hखसकती हई मेडीटो<रयन
ु
सागर क1 लहरJ म. समा गई। वह सकते म. आ गई। वह सोचकर ह% रह गई +क
परमेXवर को कोई भी भ.ट देने का वादा सारे होश-ओ-हवास म. सोच-समझकर
+कया जाता है, ना +क जदबाज़ी और भावुकता म.। यह उसके Eपता ने =या कर
डाला? उसके Eपता ने तो खुद ह% अपने ह% बदन और अपने ह% ख़ून से यहोवा
क1 पEव( वेद% को लाल कर दया है? =या यहोवा भी ऐसी मजबूर और अपनी
+कPमत पर हाथ मलती हई एक क ुं वार% लड़क1 क1 होमब5ल का र=त कबूल कर
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सके गा?
'ठ©क है अoबा। जो आपने +कया है, उसका ना तो कोई ायिXचत है और
ना ह% कोई अ#य Eवकप। आप खुद को प{थरJ से भी अvधक कठोर बनाइये।
म8 आपका मान रखने क1 ख़ा;तर परमेXवर क1 वेद% पर Pवाह होने के 5लये
आपको देती हं और अपना ख़ून आपको मॉफ करती हं।'
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;यeतह ने सुना तो उसने बेट% को एक बार +फर से अपने अंक म. भर
5लया। क ु छेक -ण इसी कार से ख़ामो5शयJ क1 राह म. चले गये। +फर थोड़ी
देर के पXचात उसक1 बेट% उससे बोल%,
'मेर% एक गुज़ा<रश है।'
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