Page 42 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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'?'  -    ;यeतह  ने  आXचय0  से  अपनी  बेट%  का  उदास  मुखड़ा  देखा  तो  वह
        बोल%,
             'आपने जो वचन यहोवा को  दया है,  तो जो बात तेरे मुख से ;नकल% है,
        उसी  के   अनुसार  मुझसे  अब  बता0व  भी  करना,  =यJ+क  यहोवा  ने  तेरे  अ?मोनी
        श(ुओं से तेर% Eवनती पर उनसे पलटा 5लया है और अब तू भी मेरे 5लये यह
        कर +क,  तू मुझको दो मह%नJ के  5लये जीEवत छोड़ दे, ता+क म8 अपनी सहे5लयJ
        के   साथ  जाकर  पहाड़J  पर  मार%-मार%  +फरती  हई  अपने  क ुं वारेपन  पर  रोती  रहं
                                               ु
                                                                         ू
        और अपने फ ू टे नसीब पर आंसू बहाती +फwं ।'
             '?'-    ;यeतह  ने  +फर  आHख़र%बार  अपनी  बेट%  को  गले  से  लगाया  और
        अपनी बुझी-बुझी सी दम तोड़ती हई आवाज़ म. उससे बोला,
                                    ु
             'जा ! जैसी तेर% इbछा है, वह% कर।'
             तब ;यeतह क1 बेट% दो मह%नJ के  5लये अपनी सहे5लयJ स हत चल% गई
        और पहाड़J पर अपने क ुं वारेपन पर रोती और आंसू बहाती रह%। दो मह%नJ के
        बीतने  के   पXचात  वह  अपने  Eपता  के   पास  5मPपा  म.  +फर  से  आ  गई।  तब
        ;यeतह ने अपनी बेट% के  Eवषय म. यहोवा परमेXवर से मानी हई म#नत को पूरा
                                                           ु
        +कया, यह जानते हये भी +क उस लड़क1 ने कभी भी +कसी पुwष का मुख तक
                        ु
        नह%ं देखा था। +फर िजस  दन से ;यeतह ने अपनी पु(ी को परमेXवर क1 वेद%
        पर होमब5ल म. चढ़ाया था, उसी  दन से सारे इ…ाएल म. यह र%;त  च5लत हो

        गई +क इ…ाएल% िP(यां  ;तवष0 ;यeतह vगलाद% क1 बेट% का यशगान गाने के
        5लये चार  दनJ के  5लये पहाड़J पर जाया करती ह8।
                 इस   कार  ;यeतह  क1  शूरवीरता  और  उसके   साहस  से  इ…ाएल%
        अ?मो;नयJ के  अ{याचार से तो आज़ाद हये। अपने देश म. इ…ाए5लयJ ने चैन
                                           ु
        और शां;त क1 सांस ल%। ;यeतह को सारे स?मान के  साथ इ…ाएल का  धान
        बनाया गया, ले+कन कौन शायद याद करता होगा +क, ;यeतह ने इस  धानता
        और स?मान के  5लये अपने जीवन क1 वह बहमू„य क1मत अदा क1 थी, िजसे
                                               ु
        परमेXवर के  5सवा कोई भी नह%ं चुका सकता था।









        42 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
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