Page 120 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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भूल । उ ह ने प िकया िक टै स का िवचार लोकि य बना और उसे यादातर लोग ने िसफ़
इसिलए माना य िक उ ह यह बताया गया िक टै स अमीर को सज़ा देने का और म य वग
तथा ग़रीब को मदद देने का साधन है। इसी कारण जनता ने टै स क़ानून क े समथ न म वोट
िदए और यह वैधािनक बन गया। हालाँिक इसका मक़सद अमीर को दंड देना है, परंतु दरअसल
यह उ ह लोग को दंड देता है िज ह ने इसका समथ न िकया था, यानी ग़रीब लोग और म य
वग ।
“एक बार सरकार ने पैसे का वाद चख िलया, तो उसक भूख बढ़ती गई” अमीर डैडी ने
कहा। “तु हारे डैडी और म पूरी तरह िवरोध म ह । वह एक सरकारी यूरो े ट ह और म एक
पूँजीपित ह ँ। हम िवपरीत यवहार क े कारण पैसे िमलते ह और हमारी सफलता अलग-अलग
मानदंड पर तौली जाती है। उ ह पैसा ख़च करने और लोग को काम देने क े िलए पैसे िदए जाते
ह । वे िजतना यादा ख़च करते ह और िजतने यादा लोग को काम पर रखते ह , उनका संगठन
उतना ही बड़ा होता जाता है। सरकार म िजतना बड़ा उनका संगठन होता है उतना ही यादा
स मान उ ह िदया जाता है। दूसरी तरफ़, मेरे संगठन म , म िजतने कम लोग को रखूँ और
िजतना कम पैसा ख़च क ँ , मेरे िनवेशक मेरा उतना ही यादा स मान करते ह । इसीिलए म
सरकारी आदिमय को पसंद नह करता ह ँ। उनक े ल य िबज़नेस क े यादातर लोग से हटकर
होते ह । जैसे-जैसे सरकार क े कम चारी बढ़ते ह , उ ह तन वाह देने क े िलए उतने ही यादा टै स
क ज़ रत होती है।”
मेरे पढ़े-िलखे डैडी इस बात म भरोसा करते थे िक सरकार को लोग क मदद करनी
चािहए। वे जॉन एफ. क ै नेडी से ेम करते थे और ख़ासकर पीस कॉ स क े िवचार से। वे इस िवचार
को इतना यादा चाहते थे िक वे और मेरी माँ दोन ही पीस कॉ स क े िलए काम करते थे और
मलेिशया, थाईल ड और िफ़लीपी स जाने वाले वयंसेवक को िशि त करते थे। वे हमेशा
अित र अनुदान और बजट म बढ़ोतरी क कोिशश करते थे तािक वे यादा लोग को भत कर
सक । ऐसा वे िश ा िवभाग क अपनी नौकरी म भी करते थे और पीस कॉ स म भी। यह उनका
काम था।
जब म दस साल का था, तब से म अपने अमीर डैडी से यह सुनता आया ह ँ िक सरकारी
कम चारी आलसी चोर का िगरोह ह और मेरे ग़रीब डैडी से म यह सुनता ह ँ िक अमीर लोग
लालची और बदमाश होते ह िजनसे सरकार को यादा टै स लेना चािहए। दोन ही िवचार क े
प म तक िदए जा सकते ह । मेरे िलए यह बह त मुि कल था य िक एक तरफ़ तो म शहर क े
सबसे बड़े उ ोगपितय म से एक क े िलए काम करता था और दूसरी तरफ़ जब म घर आता था
तो वहाँ मेरे डैडी होते थे, जो एक नामी सरकारी नेता थे। यह तय करना आसान नह था िक
कौन सही बोल रहा है और िकसक बात पर मुझे भरोसा करना चािहए।
परंतु जब आप टै स क े इितहास का अ ययन करते है, तो एक िदलच प पहलू सामने
आता है। जैसा म ने कहा िक टै स का लागू होना िसफ़ इसिलए संभव हो सका य िक जनता
रॉिबनह ड क े अथ शा ीय िस ांत म भरोसा करती थी, िजसम अमीर से लेकर बाक़ सबम बाँट
िदया जाता है। सम या यह थी िक सरकार क पैसे क भूख इतनी बढ गई िक ज द ही म य वग