Page 135 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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हम यादा सीख सकते ह । क ु छ समय पहले क बात है, म ने अपनी प नी से कहा िक धोबी ने
मेरे प ट को िसकोड़ िदया है। मेरी प नी धीमे से मु कराई और उसने मेरे पेट म उँगली गड़ाते ह ए
मुझे बताया िक प ट नह िसक ु ड़ा है, बि क कोई और चीज फ ै ल गई है : म !
क ै श लो नामक यह खेल हर िखलाड़ी को यि गत फ़ डबैक देने क े िहसाब से तैयार
िकया गया है। इसका ल य आपको िवक प दान करना है। अगर आप नाव वाला काड
िनकालते ह और यह आपको क़ज़ म डाल देता है तो सवाल यह उठता है, ''अब आप या कर
सकते ह ? ''आपक े पास िकतने फ़ायन िशयल िवक प मौजूद ह ? यही खेल का ल य है :
िखलािड़य को सोचना िसखाना तािक वे नए और बह त से फ़ायन िशयल िवक प बना सक ।
म ने एक हज़ार से यादा लोग को यह खेल खेलते देखा है। वे लोग जो इस खेल क 'चूहा
दौड़' से सबसे ज दी िनकल जाते ह , उ ह अंक क समझ होती है और उनक े पास रचना मक
फ़ायन िशयल िदमाग़ होता है। वे बह त से फ़ायन िशयल िवक प को देख सकते ह । िजन लोग को
सबसे यादा समय लगता है वे ऐसे लोग होते ह िज ह अंक क समझ नह होती और िज ह ाय
: िनवेश क ताक़त का एहसास नह होता। अमीर लोग ाय: रचना मक होते ह और सोच-
समझकर खतरे उठाते ह ।
क ै श लो खेलने वाले कई ऐसे भी लोग होते ह जो इस खेल म बह त सा पैसा तो कमा लेते ह
परंतु उ ह यह नह पता होता िक वे इस पैसे का या कर । उनम से यादातर असली िजंदगी म
भी आिथ क प से सफल नह होते। हर कोई उनसे आगे िनकल जाता है, इस त य क े बावजूद
िक उनक े पास पैसा होता है। और यही असली िजंदगी म भी होता है। ऐसे बह त से लोग ह िजनक े
पास बह त सा पैसा होता है और िफर भी वे आिथ क प से आगे नह बढ़ पाते।
अपने िवक प को सीिमत कर लेना पुराने िवचार से िचपक े रहने क ही तरह है। हाई
क ू ल क े समय का मेरा एक दो त अभी तीन नौक रयाँ कर रहा है। बीस साल पहले, वह मेरे
सभी सहपािठय म सबसे अमीर ह आ करता था। जब थानीय शुगर लांट बंद ह आ तो वह िजस
कं पनी क े िलए काम करता था वह भी बंद हो गई। उसक े िदमाग़ म क े वल एक िवक प था और
वह पुराना िवक प था : कड़ी मेहनत करो। सम या यह थी िक उसे कोई बराबरी क नौकरी नह
िमल पाई जो पुरानी कं पनी म उसक व र ता को माने। इसका प रणाम यह ह आ िक वह अभी
जो काम कर रहा है वे उसक यो यता क े बह त नीचे क े काम ह और इसिलए उसक तन वाह
कम है। उसे िजंदा रहने क े िलए िजतना पैसा चािहए, उतना कमाने क े िलए उसे तीन नौक रयाँ
करनी पड़ रही ह ।
म ने क ै श लो खेलने वाले लोग को यह िशकायत करते सुना है िक 'सही' मौका देने वाले
काड उनक े पास नह आ रहे ह । इसिलए वे जहाँ क े तहाँ बैठे रहते ह । म ऐसे लोग को जानता ह ँ
जो असली िजंदगी म भी ऐसा ही करते ह । वे बैठकर 'सही' मौक़ े क े आने का इंतजार करते ह ।
म ने लोग को 'सही' मौक़ े वाले काड का इंतजार करते देखा है और िफर उनक े पास पया
पैसा नह होता। िफर वे यह िशकायत करते ह िक अगर उनक े पास यादा पैसा होता तो वे चूहा
दौड़ से बाहर िनकल सकते थे। इसिलए वे वह बैठे रहते ह । म असली िजंदगी म भी ऐसे लोग को