Page 195 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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लगे। ''वे आपक े  पीछे पड़ जाएँगे। आपको जेल भी हो सकती है।'' ''आप अपनी   े िडट रेिटंग िबगाड़

               ल गे।'' ''वे लोग िबजली काट द गे। ''म ने िफर भी सबसे पहले खुद को ही पैसा िदया।

                     आप पूछ गे, '' य ?''  य िक द  रचे ट मैन इन बैिबलॉन* क  कहानी इसी बारे म  है। खुद
               पर अनुशासन क  ताकत और आंत रक सहनशि  क े  बारे म । इसे बोलचाल क  भाषा म  'गुद  '
               भी कह सकते ह । जैसा मेरे अमीर डैडी ने मेरी नौकरी क े  पहले माह म  मुझे बताया था िक
                यादातर लोग दुिनया क  ठोकर  सहन करते रहते ह । पैसे वसूलने वाला आता है और आप ''या
               तो पैसे चुकाओ वरना''। तो आप उसे पैसे दे देते ह  और खुद को पैसे नह  देते ह । एक से स  लक
               कहता है ,''आप इसे अपने चाज  काड  म  डाल द ।'' आपका  रयल ए टेट एज ट आपसे कहता है

               ,''आगे बढ़े चलो- घर ख़रीदने पर सरकार आपको टै स म  छ ू ट देती है।'' पूरी पु तक दरअसल
               इसी बारे म  है। आपम  धारा क े  िव   जाने का और अमीर बनने का गुदा  होना चािहए। हो सकता
               है िक आप कमजोर न ह , परंतु जब पैसे क  बात आती है, तो कई लोग  का हौसला प त होने
               लगता है।

                     म  यह नह  कहता िक आप ग़ैरिज मेदार बन । मुझ पर  यादा क़ज  नह  है,   े िडट काड  का
               क़ज  भी नह  और ऐसा इसिलए है  य िक म  खुद को सबसे पहले पैसे देता ह ँ। म  अपनी आय को
               कम से कम इसिलए करता ह ँ  य िक म  इसे सरकार को नह  देना चाहता। इसीिलए आपम  से

               िजन लोग  ने द सी  े ट् स ऑफ़ द  रच नाम का वीिडयो देखा होगा, उ ह  म  यह बता दूँ िक मेरी
               आय नेवादा क े  कॉरपोरेशन क े  ज़ रए मेरे संपि  वाले कॉलम से आती है। अगर म  पैसे क े  िलए
               काम करता, तो सरकार इसे ले लेती।

                     हालाँिक म  अपने िबल का भुगतान सबसे आिख़र म  करता ह ँ, परंतु मुझम  इतनी आिथ क
               समझ है िक म  िकसी मुि कल म  नह  फ ँ सता ह ँ। म  कं  यूमर कज  को पसंद नह  करता ह ँ। मेरे
               पास इतने दािय व ह  जो 99 फ़ सदी लोग  से  यादा ह  परंतु उनका भुगतान म  नह  करता ह ँ
               बि क दूसरे लोग मेरी देनदा रय  को चुकाते ह । वे मेरे िकराएदार कहलाते ह । तो खुद को पैसा

               देने म  पहला िनयम यह है िक कभी कज़ म  मत फ ँ सो । हालाँिक म  अपने िव  का भुगतान सबसे
               आिखर म  करता ह ँ परंतु म  क े वल क ु छ मह वहीन िव  ही बचाकर रखता ह ँ।

                     दूसरी बात यह िक जब भी मेरे पास पैसा कम होता है तब भी म  खुद को ही सबसे पहले
               पैसे देता ह ँ। म  क़ज़  देने वाल  और सरकार को चीख़ने देता ह ँ। जब वे कठोर होते ह  तो मुझे
               अ छा लगता है।  य ?  य िक ये लोग मुझ पर एक एहसान कर रहे ह । वे मुझे  े रत कर रहे ह
               िक म  जाऊ ँ  और  यादा पैसा कमाऊ ँ । तो म  खुद को सबसे पहले पैसा देता ह ँ, उस पैसे को िनवेश

               करता ह ँ और क़ज़  देने वाल  को चीख़ने देता ह ँ। म  वैसे आम तौर पर उ ह  सही समय पर
               भुगतान कर देता ह ँ। मेरी प नी और मेरी साख बह त अ छी है। हम क े वल दबाव म  नह  आते ह
               और क़ज़  उतारने क े  िलए अपनी बचत का इ तेमाल नह  करते, न ही उसक े  िलए अपने  टॉक
               को बेचते ह । इसम  बह त  यादा समझदारी नह  है।

                     तो जवाब यह है :

                     1. ऐसे बड़े क़ज़  म  न फ ँ से िजसका भुगतान आपको करना हो। अपने ख़च  को सीिमत
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