Page 201 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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िश ा पर खच  िकए गए यह सव  े  3 ००० डॉलर थे । जो वह सीख रहा है वह िजंदगी भर

               उसक े  काम आएगा और वह पैसे क  ताकत का स मान करना भी सीख गया है । मुझे लगता है
               िक अब उसक  जेब का छेद बंद हो चुका है । ''

                     जैसा म ने '' खुद को सबसे पहले भुगतान कर  '' वाले खंड म  कहा था अगर कोई  यि
               आ म-अनुशासन क  ताकत हािसल नह  कर सकता तो बेहतर यही होगा िक वह कभी अमीर
               बनने क  कोिशश न करे । सै ाितक िहसाब से संपि  वाले कॉलम से क ै श तो िवकिसत करने
               क   ि या आसान नजर आती है परंतु इसम  पैसे को िदशा देने क  मानिसक सहनशि  क
               ज रत होती है जो मुि कल सािबत होता है । बाहरी आकष ण  और  लोभन  क े  कारण आज क

               खुरीदारी क  दुिनया म  यह  यादा आसान हो चला है िक पैसे को पूरा उड़ा ही िदया जाए ।
               कमजोर मानिसक शि  क े  कारण ही वह पैसा सबसे कम  ितरोध वाले रा ते पर बह जाता है ।
               यही गरीबी और आिथ क संघष  का कारण है ।

                     म ने फायन िशयल समझदारी का यह ◌ाँकड़  का उदाहरण इसिलए िदया तािक पैसे से
                यादा पैसे कमाने क  यो यता को जाना जा सक े  ।

                     अगर हम 1०० लोग  को साल क े  शु  म  1० ००० डॉलर दे द  तो साल क े  अंत म   या होगा

                     • 80 क े  पास क ु छ भी नह  बचेगा । वा तव म  कई तो  यादा कज  म  दबे ह गे  य िक
                         उ ह ने नई कार ि ज टीवी वी .सी .आर. या छ ु ट् िटय  क े  िलए नकद पैसा िदया होगा ।

                     • 16 ने उस 1० ००० डॉलर को 5 से 1० फ सदी बढ़ाया होगा ।


                     • 4 ने इसे 2० ००० डॉलर या लाख  डॉलर तक बढ़ाया होगा ।

                     हम िकसी  ोफ े शन को सीखने क े  िलए  क ू ल जाते ह  तािक हम पैसे क े  िलए काम कर
               सक    । मेरे िवचार म  यह सीखना भी मह वपूण  होता है िक पैसे से अपने िलए क ै से काम करवाया
               जाता है ।

                     म  भी हर  यि  क  तरह िवलािसता क  व तुओं से  ेम करता ह ँ । अंतर यह है िक कई
               लोग अपनी िवलािसता को कज  लेकर खुरीदते ह  । यह पड़ोिसय  से  ितयोिगता करने का जाल
               है । जब म  कार खुरीदना चाहता था तब आसान रा ता यही था िक म  अपने ब कर को बुलाकर

               लोन ले लेता । परंतु म ने दािय व वाले कॉलम को बढ़ाने क े  बजाय संपि  वाले कॉलम पर  यान
               क   ि त रखा ।

                     अब तो मुझे आदत पड़ चुक  है िक म  अपने खच  क  इ छा से  े रत होता ह ँ िक िकस तरह
               उसक े  िलए अित र  पैसे जुटा सक ूँ  ।

                     आजकल  ाय : हम अपनी मनचाही चीज  को खुरीदने क े  िलए खल  लेने पर  यान क   ि त
               करते ह  और पैसा बनाने पर  यान क   ि त नह  करते ह  । यह रा ता क ु छ समय क े  िलए तो
               आसान है परंतु लंबे समय म  यह बह त मुि कल सािबत होता है । यह एक ऐसी बुरी आदत है जो

               हमम  इंसान  क े   प म  और रा   क े   प म  भी है । याद रख  आसान रा ते अ सर मुि कल बन
               जाते ह  और मुि कल रा ते अ सर आसान बन जाते ह  ।
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