Page 89 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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उ ह टै स म छ ू ट भी िमलेगी। वे ऐसा ही करते ह और यादा याज दर वाले े िडट काड का
भुगतान कर देते ह । इसक े बाद वे राहत क साँस लेते ह । उ ह ने े िडट काड का िहसाब साफ़
कर िदया है। अब उ ह ने अपने उपभो ा ऋण को होम मॉट गेज म बदल िलया है। उनका भुगतान
भी कम हो जाता है य िक उ ह अपने क़ज़ को 30 साल क िक़ त म चुकाना है। सम या से
िनपटने का यही माट तरीक़ा है।
उनक े पड़ोसी आते ह और उ ह शॉिपंग पर चलने का यौता देते ह - मेमो रयल डे क सेल
लगी ह ई है। यही तो मौक़ा है क ु छ पैसे बचाने का। वे अपने आप से कहते ह , “म क ु छ नह
ख़रीदूंगा। म तो िसफ़ देखने जा रहा ह ँ।” परंतु अगर कोई चीज़ जम जाए, तो उसे ख़रीदने क
उ मीद म वे अपने े िडट काड को ले जाना नह भूलते।
म ऐसे युवा दंपित से हर समय टकराता ह ँ। उनक े नाम बदलते रहते ह , परंतु उनक पैसे क
तंगी एक सी ही रहती है। वे मेरी चचा ओं म यह सुनने क े िलए आते ह िक म इस बारे म या
कहता ह ँ। वे मुझसे पूछते ह , “ या आप हम बता सकते ह िक और यादा पैसा क ै से कमाया जा
सकता है?” उनक ख़च ली आदत ने उ ह और यादा कमाने क े िलए मजबूर कर िदया है।
वे इतना भी नह जानते िक दरअसल सम या पैसा कमाने क नह है, पैसा सही तरह से
ख़च करने क है और यही पैसे क तंगी का कारण है। यह सम या इसिलए पैदा होती है य िक
उनम पैसे क समझ नह होती। यह सम या इसिलए और भी भयानक हो जाती है य िक वे
संपि और दािय व क े फ़क़ को नह समझ पाते।
मेरा मानना है िक यादा पैसे से शायद ही कभी िकसी क पैसे क सम याएँ सुलझती ह ।
सम याएँ समझदारी से सुलझती ह । मेरा एक दो त बार-बार क़ज़ म फ ँ से लोग को यही सलाह
देता है।
“अगर आपको लगता है िक आपने अपने आपको िकसी गड ् ढे म फ ँ सा िलया है... तो गड ् ढा
खोदना बंद कर दो।”
मेरे डैडी बचपन म हम बताया करते थे िक जापानी तीन ताक़त को मानते थे: “तलवार
क ताक़त, र न क ताक़त और दप ण क ताक़त।” तलवार हिथयार क ताक़त का तीक थी।
अमे रका ने हिथयार पर
खरब डॉलर ख़च कर िदए ह और इसी कारण वह आज िव म सबसे ताक़तवर देश है।
र न पैसे क ताक़त का तीक ह । इस कहावत म क ु छ तो स चाई है, “यह विण म िनयम
याद रखो। िजसक े पास वण है, वही िनयम बनाता है।”
दप ण आ म- ान का तीक है। जापानी दंतकथा क े अनुसार यह आ म- ान इन तीन म
सबसे क़ मती व तु थी।
ग़रीब और म य वग य लोग अ सर धन क ताक़त से िनयंि त होते ह । वे सुबह-सुबह
उठकर कड़ी मेहनत करने यानी नौकरी करने चले जाते ह और ख़ुद से यह तक नह पूछते िक
या ऐसा करना समझदारी है। पैसे क समझ न होने क े कारण यादातर लोग पैसे क डरावनी