Page 91 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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और अब वे पढ़े-िलखे लोग  को रा ता िदखा रहे थे उ ह  आदेश और िनद श दे रहे थे उनसे सवाल

               पूछ रहे थे। पढ़े-िलखे लोग उनक  एक आवाज पर दौड़े चले आते थे और उनक े  ग़ु से से डरते थे।
                     यह आदमी कभी भीड़ क े  साथ नह  चला। इस आदमी ने खुद क े  दम पर सोचा और फ़ ै सले

               िकए। उ ह  इन श द  से िचढ़ होती थी, ''हम  इसे इस तरह से इसिलए करना पड़ेगा  य िक सभी
               लोग इसी तरह से करते ह ।'' वे 'नह  हो सकता' से भी बह त िचढ़ते थे। अगर आप उनसे कोई काम
               करवाना चाहते थे तो आपको बस इतना ही कहना था, ''मुझे लगता है िक आप इसे नह  कर
               सकते।''

                     माइक और म  उनक े  साथ रहकर िजतना सीखे, उतना हमने  क ू ल म  िबताए साल  म  कभी
               नह  सीखा कॉलेज म  भी नह । माइक क े  डैडी क े  पास  क ू ल क  िश ा तो नह  थी, परंतु उनक े

               पास पैसे क  िश ा थी और इसी कारण वे सफल भी थे। वे हम  बार-बार बताया करते थे, ''एक
               समझदार आदमी अपने से  यादा समझदार लोग  को नौकरी पर रख सकता है।'' इसिलए माइक
               और मुझे समझदार लोग  क  बात  सुनने और उनसे सीखने का लाभ िमला।

                     परंतु इसक े  कारण, माइक और म  दोन  ही उस सामािजक मा यता क े  साथ नह  चल पाए
               जो हमारे िश क हम  िसखाते थे। और इस वजह से कई सम याएँ पैदा हो गईं। जब कोई टीचर
               कहता था, ''अगर तु ह  अ छे नंबर नह  िमलते ह , तो तुम दुिनया म  क ु छ नह  कर सकते।'' तो
               माइक और म  अपनी भ ह  चढ़ा लेते थे। जब हम  िघसे-िपटे ढर  पर चलने को कहा जाता था और

               िनयम  का अ रश: पालन करना िसखाया जाता था, तो हम  यह लगता था िक  क ू ली िश ा
               दरअसल रचना मकता का गला घ ट देती है। हम अमीर डैडी क  यह बात समझने लगे थे िक
                क ू ल  को इसिलए बनाया गया है तािक वहाँ अ छे कम चारी तैयार हो सक   , न िक अ छे मािलक।

                     कभी-कभार माइक या म  टीचर से पूछते थे िक हम जो पढ़ रहे ह , उसक  असली िजंदगी म
                या उपयोिगता है या यह िक हम  पैसे क े  बारे म   य  नह  पढ़ाया जाता है । दूसरे सवाल का
               अ सर हम  यह जवाब िमलता था िक पैसा मह वपूण  नह  है और अगर हम अ छी पढ़ाई कर गे तो
               पैसा अपने आप िमलने लगेगा।


                     हम पैसे क  ताकत क े  बारे म  िजतना  यादा जानते जाते थे, अपने िश क  और सहपािठय
               से उतना ही दूर होते जाते थे।

                     मेरे पढ़े-िलखे डैडी ने कभी मुझ पर अ छे नंबर  क े  िलए दबाव नह  डाला। मुझे इस बात पर
               हैरत होती है िक उ ह ने ऐसा  य  नह  िकया। परंतु हम लोग  म  पैसे को लेकर अ सर वाद-
               िववाद होने लगे थे। जब म  16 साल का ह आ तो मेरी पैसे क  बुिनयाद मेरे म मी-डैडी से अ छी हो
               चुक  थी। म  िहसाब-िकताब रख सकता था। म  टै स अकाउंट ट् स, कॉरपोरेट अटॉन , ब कस ,

                रयल ए टेट  ोकस , िनवेशक  इ यािद क  बात  सुनता था। मेरे डैडी िश क  से बात  करते थे।

                     एक िदन, मेरे डैडी मुझे बता रहे थे िक हमारा घर हमारे िलए सबसे बड़ा िनवेश  य  है। इस
               बात को लेकर हम लोग  म  बहस हो गई जब म ने उ ह  यह बताया िक घर हमारे िलए एक अ छा
               िनवेश  य  नह  है।

                     आगे आने वाले िच  से यह साफ़ हो जाता है िक अपने-अपने घर  को लेकर मेरे अमीर डैडी
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