Page 90 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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ताक़त को यह इजाज़त दे देते ह िक वह उ ह क़ाबू म कर ले। पैसे क ताक़त उनक े िवरोध म
इ तेमाल होती है।
अगर वे दप ण क ताक़त का इ तेमाल करते, तो वे ख़ुद से यह सवाल पूछते, “ या इसम
समझदारी है?” बह त बार, अपनी अंद नी समझदारी पर भरोसा करने क े बजाय लोग भीड़ क े
साथ-साथ चलने लगते ह । वे कोई काम इसिलए करते ह य िक सभी लोग ऐसा करते ह । वे
सवाल पूछने क े बजाय नक़ल करने लगते ह । अ सर, वे नासमझी क े कारण वही दोहराते ह जो
उ ह िसखाया गया है। इस तरह क े िवचार िक “आपका घर आपक सबसे बड़ी पूँजी है,” “आपका
घर आपका सबसे बड़ा िनवेश है,” “अगर आप यादा क़ज़ लेते ह तो आपको टै स म यादा छ ू ट
िमलेगी।” “सुरि त नौकरी खोजो।” “ग़लितयाँ मत करो।” “ख़तरे मत उठाओ।”
ऐसा कहा जाता है िक यादातर लोग क े िलए मौत से भी डरावनी चीज़ होती है भीड़ क े
सामने बोलने का डर। मनोवै ािनक कहते ह िक यादातर लोग साव जिनक मंच पर बोलने से
इसिलए डरते ह य िक उ ह यह डर होता है िक उनक बुराई होगी, लोग-बाग उनक हँसी
उड़ाएंगे, वे अक े ले रह जाएँगे, सबसे कट जाएँगे और िबरादरी से अलग-थलग कर िदए जाएँगे।
सबसे अलग होने का डर या अक े ले रह जाने का डर ही वह सबसे बड़ा कारण है िजस वजह से
यादातर लोग अपनी सम या हल करने क े िलए नए तरीक़ े नह ढूँढ़ते।
इसीिलए मेरे पढ़े-िलखे डैडी कहा करते थे िक जापानी लोग दप ण क ताक़त को सबसे
यादा मह व देते थे। य िक जब इंसान दप ण म खुद को देखता है तभी उसे स चाई का पता
चलता है। और यादातर लोग ''ख़तरे मत उठाओ'' इसिलए कहते ह य िक वे खुद डरे ह ए होते
ह । यह िकसी भी चीज़ क े बारे म कहा जा सकता है जैसे खेल म , संबंध म , क रयर म , धन म ।
इसी डर, इसी समाज से कट जाने क े डर क े कारण लोग लीक पर चलते ह और समाज क
वीक ृ त मा यताओं या लोकि य वृि य क े िखलाफ नह जाते। ''आपका घर एक संपि है।''
''िबल क सॅािलडेशन लोन लो और कज से बाहर िनकल जाओ।'' ''कड़ी मेहनत करो।'' '' मोशन
का सवाल है।'' ''एक िदन म वाइस ेिसड ट बन जाऊ ँ गा।'' ''पैसे बचाओ।'' ''जब मेरी तन वाह
बढ़ेगी, तो म एक बड़ा घर ख़रीद लूँगा।'' '' यूचुअल फ़ं ड सुरि त ह ।'' ''िटकल मी ए मो डॅा स
अभी टॉक म नह ह , परंतु मेरे पास एक डील रखी ह ई है जो दूसरा ाहक अब तक लेने नह
आया है।''
भीड़ क े साथ चलने और पड़ोिसय क े ऐशोआराम क नक़ल क े कारण पैसे क बह त सी
सम याएँ पैदा होती ह । कई बार हम सभी को दप ण म देखने क ज़ रत होती है और हम अपने
डर क े बजाय अपनी अंद नी समझदारी से सोचना चािहए।
जब माइक और म 16 वष क े ह ए तो हम क ू ल म सम याएँ आने लगी थ । हम बुरे ब चे
नह थे। हम क े वल अपने आपको भीड़ से अलग कर रहे थे। क ू ल क े बाद और शिनवार-रिववार
को हम माइक क े डैडी क े िलए काम करते थे। माइक और म अ सर घंट तक उसक े डैडी क े
साथ बैठे रहते थे जब वे अपने ब कस , वक ल , अकाउंट ट, ोकर, िनवेशक , मैनेजस और
कम चा रय क े साथ चचा करते थे। माइक क े डैडी ने 13 साल क उ म क ू ल छोड़ िदया था