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कपय भुखर्मा के  आदेश ऩय एनाॊसी ने वऩॊजया
                                                                                  अऩने लसय ऩय उठा लरमा फाज़ाय भें िरते-
                                                                                  िरते धिल्राने रगा, “फेकाय भछरी का वऩॊजया
                                                                                  बफकाऊ है, फेकाय भछरी का वऩॊजया बफकाऊ है.”
                                                                                  रज्जा से एनाॊसी ऩानी-ऩानी हो गमा. रोग
                                                                                  अऩनी हॊसी योक न ऩा यहे थे. फच्िे उसके
                                                                                  ऩीछे-ऩीछे बाग यहे थे औय धिल्रा यहे थे,
                                                                                  “नाह! नाह! नाह!”
                                                                                  जफ वह घय रौटा तो फोंसू उसके  ऩास आमा
                                                                                  औय फोरा, “एनाॊसी, तुभ एक भूर्ख को ढ ूॊढ यहे
                                                                                  थे जो तुम्हाये साथ भछलरमाॉ ऩकड़ने जाता.
                                                                                  रेककन उसे ढ ूॉढने तुम्हें कहीॊ जाने की ज़रयत
                                                                                  नहीॊ थी. तुभ स्वमॊ ही तो वह भूर्ख थे.”
                                                                                  एनाॊसी फोरा, “रेककन, फोंसू, तुभ ककस प्रकाय
                                                                                  के  बागीदाय थे? जफ वह सफ रोग भेया भज़ाक
                                                                                  उड़ा यहे थे, तफ तुम्हें कभ से कभ अऩभान तो
                                                                                  स्वीकाय कयना िादहए था.”
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