Page 11 - Smart Book 2
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अगरे ददन जैसे ही अॉधेया सभाप्त हआ औय
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         सुफह हई, एनाॊसी औय फोंसू अऩने भछरी के
               ु
         वऩॊजये को देर्ने के  लरमे आमे. नदी ककनाये
         ऩहॊि कय  उन्होंने देर्ा कक वऩॊजये के  आसऩास
           ु
         सयकॊ डों भें र्रफरी भिी हई थी.
                                 ु
         दोनों बागते हए नदी भें उतय गमे. उन्होंने
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         वऩॊजये का ढतकन ऊऩय से फॊद कय ददमा औय
         र्ीॊि कय उसे ऩानी से फाहय रे आमे. वऩॊजया
         फहत बायी था औय उसके  बीतय कोई फड़ा,
           ु
         कारा जीव था, जो क ुॊ डरी भाय कय फैठा था.
         उन्होंने वऩॊजया झटऩट नीिे यर् ददमा औय दूय
         हट गमे.
         कपय ऩुरऩ! वऩॊजये का ढतकन तड़ाक र्ुर गमा.
         औय एक फड़ा अजगय येंगता हआ फाहय आमा.
                                   ु
         उसके  शयीय ऩय कई गाॊठे औय क ू फड़ उबये हए
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         थे.
         “देर्ो उसे!” फोंसू धिल्रामा. “वो अजगय तुम्हायी
         भछलरमाॉ तनगर गमा है! उन्हें धगनो!”
         एनाॊसी धगनने रगा, “एक, दो, तीन, िाय......”
         औय तफ तक अजगय अऩने बायी-बयकभ शयीय
         को र्ीॊि कय नदी भें डुफकी रगा िूका था,
         ड ु ब्ब्ब्ब्ब्ब्फ्!
         एनाॊसी फोरा, “फोंसू, इसे तुभ भेयी फायी नहीॊ
         भान सकते. जो क ु छ वऩॊजये भें अगरी फाय
         आमेगा वह भैं ही रूॊगा. औय हभ महीॊ रुक कय
         वऩॊजये की तनगयानी बी कयेंगे.”
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