Page 7 - Smart Book 2
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कपय फोंसू ने कहा, “अफ तुभ फैठ जाओ, एनाॊसी. भैं इन
                                                                       डारों से वऩॊजया फनाता हॉ. फस भेयी अॉगुलरमों भें घाव
                                                                                            ू
                                                                       होंगे औय भेयी ऩीठ भें ददख होगा. रेककन अगय भेयी जगह
                                                                       तुभ मह कष्ट झेर रोगे तो भैं साया काभ कय दूॊगा.”
                                                                       “रुको, भेये बाई,” एनाॊसी फोरा. “तुभ आसानी से सफ
                                                                       कष्ट सह यहे हो. भैं स्वमॊ भछलरमाॉ ऩकड़ने का वऩॊजया
                                                                       फना रूॊगा.”
                                                                       औय जफ एनाॊसी काभ कय यहा था, फोंसू फैठ साया कष्ट
                                                                       झेर यहा था. वह अऩने भाथे से ऩसीना ऩोंछता, अऩनी
                                                                       ऩीठ सहराता, औय फीि-फीि भें कयहाता, “ड ू , ड ू , ड ू .”
                                                                       फोंसू ने उतना हॊगाभा भिा यर्ा था कक अऩने कष्टों की
                                                                       ओय  एनाॊसी का ध्मान ही न गमा. फुनते औय फाॊधते,
                                                                       फुनते औय फाॊधते आखर्यकाय उसने वऩॊजया फना ही
                                                                       लरमा.
                                                                       “अये, ककतना फदढ़मा वऩॊजया तुभ ने फनामा है!” फोंसू ने
                                                                       धिल्रा कय कहा औय उस वऩॊजये को अऩने लसय ऩय उठा
                                                                       लरमा. “अगय नदी की ओय जाते सभम यास्ते भें क ु छ
                                                                       रोग लभर गमे तो वह सफ मही सोिेंगे कक इसे भैंने
                                                                       फनामा है.”
                                                                       “रुको,” एनाॊसी धिल्रामा. “भेये काभ का श्रेम तुम्हें तमों
                                                                       लभरे?” औय इतना कह कय, वऩॊजया फोंसू के  लसय से
                                                                       उठा कय उसने अऩने लसय ऩय यर् लरमा.
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