Page 3 - Smart Book 2
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एक सभम ऩश्चिभ अफ्रीका भें एनाॊसी नाभ का
एक व्मश्तत यहता था. वह आरसी औय
रारिी था औय हय ऩर ककसी न ककसी को
ठगने की फात सोिता यहता था. एक ददन
उसने अऩनी ऩत्नी, ऐसो, को कहा कक भैं
भछलरमों का धॊधा करॊ गा.
ऐसो फोरी, “भेये एक कान ने तुम्हायी फात सुन
री है. दूसया कान प्रतीऺा कय यहा है.”
एनाॊसी िाराकी से हॉसने रगा, “हह, हह, हह.”
वह फोरा, “भैं कोई भूर्ख व्मश्तत ढ ूॊढ कय उसे
अऩना बागीदाय फनाऊॉ गा-कोई ऐसा जो साया
काभ कयेगा जफकक सायी भछलरमाॉ भुझे
लभरेंगी.”
“हा!” ऐसो ने कहा. “तुम्हें ऐसा भूर्ख कहाॉ
लभरेगा?” उसने ऩानी का भटका अऩने लसय
ऩय यर्ा औय ऩानी रेने िरी गमी.