Page 11 - CSIR-IGIB Annual Report 2020-21
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सारांश
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सीएसआईआर-इस्ट�ट्यूट ऑफ जीनो�मक्स एंड इट�ग्र�टव बायोलॉजी िजनो�मक� अनुसंधान के द्वारा ज�टल मानव
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रोग� को समझन के �लए हर संभव प्रयत्न करन म� सदा तैयार रहा है। �पछला साल संगठन के �लए एक
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अभूतपूवर् अनुभव रहा है, एक नयी महामार� का सामना करत ह ु ए �व�भन्न वै�ा�नक �व�धय� द्वारा कोरोनवायरस
संक्रमण के �नत नए उभरते पैटनर् के जवाब और समाधान क� खोज म� संगठन ने अग्रणी भू�मका �नभाई है।
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अप्रैल 2020-माचर् 2021 को कवर करन वाल� इस �रपोट का मुख्य आकषर्ण मौजूदा �व�भन्न अनुसंधान
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कायर्क्रम, जो COVID महामार� स प्रभा�वत ह ु ए थे, आने वाले समय क� आवश्यकता म� योगदान देन वाले
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अनुसंधान को �वस्ता�रत रूप स प्र�षत कर रहा है। इस �रपोट म� हमन अपने वै�ा�नक� पर ध्यान क � �द्रत �कया
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है, जो अपने वै�ा�नक दल के साथ, एक संपूणर् वै�ा�नक संगठन के रूप म� गवर् करन के �लए बह ु त क ु छ
हा�सल �कया है।
आईजीआईबी क� स्थापना के बाद स संगठन ने जीनो�मक्स म� कई प्रमुख कायर्क्रम �कये ह� और इस वषर् हमार े
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वै�ा�नक� ने इन सभी म� अ�धक स अ�धक ऊं चाइय� को हा�सल �कया है। श्रीधर �शवसुब्बू के सफल नेतृत्व म�, भारतीय
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जीनोम के आनुवं�शक रूपांतर� का एक व्यापक संसाधन बनाया गया िजसम� 1000 स अ�धक भारत के �नवा�सय�
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के जीनोम को सिम्म�लत �कया गया था। यह भारत म� अपनी तरह का पहला संसाधन है और भारत म� आनुवं�शक
रोग� के रोगजनक रूप� को समझन म� स�म होगा। �वनोद स्का�रया के नेतृत्व म�, जीनो�मक्स फॉर अंडरस्ट��डंग रयर
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�डजीज इ�डया एलायस नेटवक Genomics for Understanding Rare Diseases India Alliance Network
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(GUaRDIAN)कायर्क्रम �पछले क ु छ वष� म� 280 से अ�धक नैदा�नक सहयो�गय� तक बढ़ गया है। इस नेटवकर् ने सुलभ
और �कफायती आनुवं�शक पर��ण� को रो�गय� तक पहँचाया है और शै��णक �च�कत्सा क � द्र� के माध्यम से
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�च�कत्सक� को भी लाभािन्वत �कया है। �च�कत्सक� को सवा��गक जीनो�मक� दृिष्टकोण प्रदान करन के प्रयास म�,
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�वनोद क� प्रयोगशाला ने �मता �नमार्ण के �लए प्र�श�ण प्रदान �कया। इस प्रयास को सफल बनाने म� उनके
सहयो�गय� �शवप्रकाश राम�लंगम, बीनुक ु मार और मोहम्मद फारूक का भी �वशष योगदान था। �शवप्रकाश क�
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प्रयोगशाला रक्त �वकार� और हमैटोलॉिजकल �वक ृ �तय� पर क � �द्रत है। उनका ल�य स्टेम सेल इंजी�नय�रंग के
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मूल जीव �व�ान को समझना और साइट-�व�शष्ट जीनोम-संपादन का उपयोग करके सेल और जीन थेरेपी
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प्रदान करना है। उनके समूह ने थैलसी�मया मजर और गौचर रोग के रोगी स कई इडयूस्ड प्लु�रपोट�ट
स्टेम सल (IPSC) लाइन� स्था�पत क� ह�। उनक� ट�म शा�मल जीन� के जीनोम-संपादन-आधा�रत सुधार
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पर काम कर रह� है; इन सल लाइन� का उपयोग रोगी नमून� क� बनावट के �लए �कया जा रहा है,
ल�कन इन रोग� के �लए ऑटोलॉगस सल �रप्लसम�ट थेरपी के �वकास क� भी संभावना है। उनक�
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प्रयोगशाला बीटा थैलसी�मया के इलाज के �लए भ्रूण के ह�मोग्लो�बन को स�क्रय करन क� �दशा म� भी
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काम कर रह� है। �बनुक ु मार '�वल्सन' नामक रोग के आनुवं�शक और नैदा�नक सहसंबंध� को समझन के
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उद्दश्य (iCROWD) पर भारतीय सहयोगात्मक अनुसंधान नेटवक का नेतृत्व कर रहे ह�। �वल्सन नामक
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बीमार� शर�र म� अत्य�धक तांब के संचय स जुड़ी एक बीमार� है।प्रथम प्रायो�गक कायर्क्रम देश के 20
क � द्र� म� 45 �च�कत्सक� को शा�मल करता है, िजसका ल�य अततः भारत म� प्रमुख प्रसार�च�कत्सा के न्द्र�
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म� बाल द�घर्का�लक ल�वर �डजीज के �लए आनुवं�शक �नदान और यथावत उपचार को प्रभा�वत करना
Annual Report 2020-21 8