Page 2 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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मानवता की देवी मदर टेरेसा
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अलबनिया स भारत आई जिस ‘आनयज गोंिा बोयाजियू’ राष्ट्ीय सवण्ष पिक, 1997 में प्रोपेर्िॉल गोलर मेरल आदि
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ि वंनितों की सवा म अपिा पूरा िीवि लगा दिया, बाि म प्रिाि दकए गए।
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वही मिर टरसा कहलाई। मिर टरसा का िनम 26 अगसत,
गंभीर बीमारी क बाि 5 नसतंबर 1997 साल म मिर
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1910 को अलबनिया म हुआ। 8 वर्ष की आयु म पपता को
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टरसा इस लोक को छोडकर िली गईं। उिकी मृतयु क बाि
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खोि क बाि मा ि रोमि कथोनलक आिर्शों म उिका लालि-
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सि ् 2016 म पोप फानसस ि मिर टरसा को ‘संत’ की उपानि
पालि दकया।
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स अलंकत दकया। मिर टरसा क िाम की प्राथ्षिा मात्र स ही
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अगिस को नमर्िररयों की िीवि कथाए बहुत पसंि अिेक लोगों के असाधय रोग ठीक हुए। पवखयात सादहतकार
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थी। 12 वर्ष की उम्र म ही उनहोंि संनयानसिी आवनिु मुखोपाधयाय ि एक बार मिर स पूछा
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बिि का प्रण दकया और 18 वर्ष की दक कया उनह कष्ठ रोनगयों का इलाि
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आयु म उनहोंि अपिा गृह तयाग करत, घृणा िही होती? मा ि कहा
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दिया उसक बाि एक नमर्िरी क था ‘िही, मैं उिम अपि ईसा का
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रूप म ‘नससटस्ष ऑफ लोरटो’ िहरा िखती हूँ’।
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संसथा म अपिा योगिाि
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1990 क िर्क क
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दिया। सि ् 1929 म वह
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प्रारभ म ें कोलकाता
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िाजि्षनलंग म आकर
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हाईकोट म 600
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प्रनर्क्ु बिी एवं 25 मई
लडदकयों को बिी
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1931 को संनयानसिी
बिाकर िल म रख
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क रूप म र्पथ ली
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िाि क िि कलयाण
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और ‘टरसा’ िाम को
क मामल म उि
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अपिाया।
लडदकयों क सुरजक्त
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14 मई 1937 सथाि और सवचछ
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को उनहोंि े पूव्ष वातावरण म पुिवा्षस
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कोलकाता क एटाली का संज्ाि नलया िा
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म जसथत लोरटो कॉनवट रहा था, तब भी मिर
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सकल म पढाि क िौराि ि अपि हाथ आग
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र्पथ ली दक व अब यहा ँ बढाए और उिका पुिवा्षस
क गरीबों और िीिहीिों की दकया था।
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सवा भी करगी। व िररद्र एव ं
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एक बार मुझ मिर टरसा
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अिाथ बचिों को अपि पास ल े
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को साक्ात ् िखि का सौभागय
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आती एवं बड ही सिह स उिकी सवा
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प्राप्त हुआ था। व हमार पुराि
करती थी। उनहोंि बंगला और दहिी भारा
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काया्षलय कोलकाता कसटम हाउस म एक
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भी सीखी।
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सभा म भाग लि आई थी। वहा उपजसथत सभी
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1945 क दहिू-मुसनलम िगों और 1950 म र्हर की िु:ख कनम्षयों िे िब उिके पैर छ ु ए तो र्ाँत भाव से िेखते हुए
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और मृतयु की पवपिाओं ि मिर टरसा को झकझोर कर रख मिर िे सभी को “May God Bless You” कहकर आर्ीवा्षि
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दिया। सि ् 1948 स पढािा छोडकर िील बॉरर वाली सफि दिया था।
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साडी अपिाकर उनहोंि अपि आप को पूरी तरह स बिल
उिकी नि:सवाथ्ष भाव स सवा क नलए हम सिा उिक
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नलया। पटिा स उनहोंि िनसिंग का प्रनर्क्ण प्राप्त दकया और
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कतज् रहग। े
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दफर कोलकाता लौट आईं। वदटकि स अिुमनत प्राप्त कर, 7
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अकटूबर 1950 स उनहोंि "नमर्िरी ऑफ िैरीटी" की सथापिा
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की। उिकी ही पहल पर एक-एक कर तैयार हुए- "निम्षल हृिय",
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"नर्र्ु भवि", "प्रमिाि", "ियािाि", और "कष्ठ रोगी आश्रम"।
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13 नससटरों क साथ र्ुरू हुआ नमर्िरी आि 139 िर्ों तक
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फल िुका ह। ै
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उिकी सवाओं क नलए उनह पद्मश्री, रमि मैगसस अमलश दासगुप्ा,
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पुरसकार, िोबल र्ानत पुरसकार, भारतरत्न, राष्ट्पनत पिक, वरिष्ठ लखापिीक्ा अधिकािी
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