Page 5 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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                                                                                 े
                                                                   का्या्षल्य महातनदशक लखापिीक्ा
                                                            प्याविण एवं वैज्ातनक ववभाग, ए.जवी.सवी.आि. भवन,
                                                               ्ष
                                                                            े
                                                                 इद्रप्रस्थ एस््, नई हदलली -110002
                                                                  ं
                                                               Office of the Director General of Audit,
                                                               Environment & Scientific Departments,
                                                                        A.G.C.R. Building,
         संज्य क ु माि झा, महातनदशक                                I.P. Estate, New Delhi- 110002
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         SANJAY KUMAR JHA, DIRECTOR GENERAL
                                                शुभकामना संदश
                                                             े
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             मुझ यह िािकर आपार हर्ष की अिभूनत हो रही ह दक आकाक्ा पपत्रका क आठव अंक का प्रकार्ि
                                                          ै
                                                                                     ें
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         दकया िा रहा ह। पपत्रका क प्रकार्ि म सहभागी सभी अनिकारी कम्षिारी लखकवृि एवं संपािक मंरल
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         प्रर्ंसा क पात्र ह।
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                रािभारा दहिी क प्रयोग को बढि म दहिी पपत्रका निरतर महतवपूण्ष योगिाि करती रही ह तथा
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                                                 ें
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         आर्ा करता हूँ दक आकाक्ा आग भी अपिी रििातमकता को इसी प्रकार साथ्षक करती रहगी। यह पपत्रका
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         रािभारा क संवि्षि म अपिा साथ्षक योगिाि िगी एवं काया्षलयी कामकाि म दहिी क प्रयोग को बढावा
                                                                                     े
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                आकाक्ा पपत्रका क उत्तरोत्तर प्रगनत और सवजण्षम भपवषय क नलए मरी हादिक र्ुभकामिाए तथा
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                                                                                   ्ष
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         रािभारा क उतथाि हतु सतत ्  प्रयासरत रहग ऐसी आर्ा करता हूँ।
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                िनयवाि।
                                                                                  ु
                                                                           संिय कमार झा
                                                                                    े
                                                                             महानििर्क
                                                               पया्षवरण एवं वज्ानिक पवभाग, िई दिलली
                                                                             ै



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