Page 10 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
P. 10

भारतीय लेखापरीक्ा और लेखा णवभाग
                                                            पपत्रका  की  साि-सजिा  उत्तम  ह।  काया्षलयीि
                                                                                         ै
                 कायायालय महालेखाकार (लेखा व हक.)
                                                                                                    ै
                                                        नित्रों ि पपत्रका की सुिरता को और निखारा ह।
                                                               े
                                                                             ं
                            राजस्ान
                                                                े
                                                                   ु
                                                                                            े
                                                        पपत्रका क कर्ल तथा सफल संपािि हतु संपािक
                                                                                     े
                                                                                          ं
                                                                    ्ष
             आपक  काया्षलय  की  रािभारा  दहिी  पपत्रका   मंरल को हादिक बिाई। पपत्रका क निरतर उजिवल
                  े
                                            ं
                                                                 े
                                                                                                   ्ष
                                                                                              े
         "आकाक्ा"  क  सातव  अंक  (वर्ष  2019)  की  प्रनत   भपवषय  हतु  इस  काया्षलय  की  ओर  स  हादिक
                     े
               ं
                            ें
                                                                   ं
         प्राप्त  हुई।  इस  पपत्रका  म  संग्रदहत  सभी  रििाय   र्ुभकामिाए।
                                                      ें
                                ें
                                                     े
         प्रभावर्ाली  एवं  उचि  कोदट  की  ह।  पपत्रका  क
                                          ै
                  े
                                   े
         माधयम स रािभारा दहिी क सृििातमक उतथाि
                              ं
          े
         हतु आपक विारा दकया गया प्रयास सराहिीय ह।                                             भविीय,
                                                  ै
                  े
                                                                                                   ं
                                                                        वररष्ठ लखापरीक्ा अनिकारी/दहिी
                                                                               े
                     े
             पपत्रका क इस अंक म सजममनलत दकया गया
                                 ें
                  ं
                                    े
         श्रीमती  ििा  नतवारी  का  लख  "भारतीय  नयाय
                   ें
         वयवसथा म पवलंब एवं समािाि", सुश्री अदवितीय            कायायालय महालेखाकार (लेखा एव हकदारी)
                                                                                       ं
                               े
                   े
         पाल का लख "िनम स पहल मृतयु", श्री सुनमत                छत्ीसगढ़, जीरो पवाईंट, बलौदा बाजार रोड
                                    े
                                              े
         कमार जखरवाल की कपवता "सैनिकीः िर् क सुरक्ा-                     रायपुर- 492005
          ु
                                           े
         कवि" तथा श्रीमती पप्रयम नसंह का लख "प्रस की
                                           े
                                                 े
         आिािी" बहुत प्रर्ंसिीय ह।
                                 ैं
                                                                                   ें
                                                                                                 ै
                                                            उपयु्षक्त पवरय क संिभ्ष म सूनित करिा ह दक
                                                                          े
                                     े
                    े
             पपत्रका क सफल समपािि हतु समपािक मणरल
                                                                                     ें
                                                                                े
                                                          ं
                                                        दहिी पपत्रका "आकाक्ा" क 7 व अंक की 1 प्रनत
                                                                          ं
         को बिाई व पपत्रका की उत्तरोत्तर प्रगनत एवं उजिवल
                                                        प्राप्त हुई, सािर िनयवाि।
                 े
         भपवषय हतु हादिक र्ुभकामिाए। ं
                       ्ष
                                                                         े
                                                            पपत्रका का कलवर एवं उिम समादहत समसत
                                                                                     ें
                                                        रििाए ज्ािवि्षक तथा रोिक ह। पवर्र रूप स,
                                                                                            े
                                                                                                    े
                                                                                      ै
                                                              ं
                                                        श्रीमती कमला िासगुप्ता की रििा "समृनत तक ही
                                                भविीय
                                                        रह", सुश्री सोदहिी ि की रििा "समय का महतव"
                                                                          े
                                                          े
                                         मुरलीिर भगत
                                                                   ु
                                                        एवं िीपक कमार नसंह की रििा "भारतीय सुरक्ा
                                             े
                                      वररष्ठ लखानिकारी
                                                        बल", प्रर्ंसिीय ह।
                                                                        ै
                                                                                                     ै
                                                                                  े
                                                                                    े
                                                            संपािक मंरल को बिाई ित हुए र्ुभकामिाए ह
                                                                                                   ं
                    महालेखाकार (लेखापरीक्ा)-II
                                                                                                   े
                                                                                ं
                                                        दक आपकी यह पपत्रका निरतर प्रकानर्त होती रह।
                         महाराष्ट्, नागपयूर
                                                                                              भविीय,
             आपक  काया्षलय  की  गृह  पपत्रका  "आकाक्ा"
                  े
                                                  ं
                                                                             वररष्ठ लखा अनिकारी/दहिी
                                                                                                   ं
                                                                                    े
         की एक प्रनत प्राप्त हुई, सहर्ष िनयवाि पपत्रका म
                                                      ें
         समापवष्ट सभी लख, कपवताए, उतकष्ट एवं ज्ािवि्षक
                                       ृ
                       े
                                  ं
          ै
                                                   ं
         ह। पवर्रकर श्री िबानर्स घोर की रििा "द्रष्टात",
                े
                          े
         श्रीमती एसथर हॉदकप की रििा "मजणपुर क बराक
                                                े
         म  लॉगफाईलुम  गाव",  श्री  अनिबा्षि  सिगुप्ता  की
                                             े
                          ँ
           ें
                                  े
         रििा  "लछमी",  श्री  अमलर्  िासगुप्ता  की  रििा
                े
                     ु
         "पूव्ष  मदििीपर"  तथा  श्री  रिीत  राय  की  रििा
                                   ं
                     ं
         "राहत की सास" आदि उललखिीय ह।
                                          ै
                                  े
          10
   5   6   7   8   9   10   11   12   13   14   15