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भारतीय लेखापरीक्ा और लेखा णवभाग
                                                                े
                                                                                 े
                                                        पपत्रका क सफल प्रकार्ि क नलए सभी रििाकार
         कायायालय प्रधान णनदेशक लेखापरीक्ा (क े नद्ीय), अहमदाबाद
                                                        एवं संपािक मंरल बिाई क पात्र ह।
                                                                                े
                                                                                       ैं
               शाखा कायायालय राजस्ान, जनप्, जयपुर
                                                                        ं
                                                                                                    े
                                                            पपत्रका की निरतर प्रगनत एवं उजिवल भपवषय क
                                                                                  े
                                                                                       ्ष
                                                        नलए इस काया्षलय की ओर स हादिक र्ुभकामिाए।   ं
                             ं
             दहिी पपत्रका "आकाक्ा" क सातव अंक की प्रानप्त
              ं
                                   े
                                         ें
                                                    े
              ै
         हुई  ह,  सहर्ष  िनयवाि।  पपत्रका  म  प्रकानर्त  लख
                                        ें
                              ै
                                          ु
         उतकष्ठ एवं ज्ािवि्षक ह। श्री िीपक कमार नसंह की                                       भविीय,
             ृ
         कपवता "भारतीय सुरक्ा बल" एवं श्रीमती सोहिी                 वररष्ठ लखापरीक्ा अनिकारी (प्रर्ासि)
                                                                           े
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                                             ँ
         ि की "समय का महत्व" िामक रििाए सराहिीय
                                    े
         ह। पपत्रका क आगामी अंकों क नलए इस काया्षलय             भारतीय लेखा त्ा लेखापरीक्ा णवभाग
                    े
          ै
                                                                                               ं
                      ैं
         सुझाव र्नय ह।                                     कायायालय प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्ा) पजाब
                 ू
                                                                           चणडीगढ़
                     े
             पपत्रका क सभी रििाकारों एवं संपािक मंरल
                     े
         को पपत्रका क सफल प्रकार्ि क नलए बिाई एवं
                                      े
                                                                        े
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                                           ँ
         पपत्रका की प्रगनत क नलए र्ुभकामिाए।                संिनभ्षत पत्र क साथ आपकी काया्षलयी पपत्रका
                                                        "आकाक्ा" की प्रनत प्राप्त हुई। अतीः आभार सवीकार
                                                              ं
                                                        करें।
                                               भविीय,
                                                                      ँ
                                                               ै
                                                            सिव दक भानत आपकी पपत्रका म संकनलत सभी
                                                                                        ें
                    वररष्ठ लखापरीक्ा अनिकारी /रािभारा
                           े
                                                                   ृ
                                                                                        ै
                                                              ं
                                                        रििाए  उतकष्ट  एवं  उचि  सतरीय  ह।  छाया  नित्रों
                                                                                       ं
                                                        का संकलि अनत उत्तम ह। सुश्री इद्राणी िािा िी
                                                                               ैं
           महाणनदेशक लेखापरीक्ा (क ें द्ीय) चेननै का कायायालय   की रििा "फालतू आिमी की कहािी", सुश्री पपंकी
                                                                              ं
            लेखापरीक्ा भवन, 361, अणिा सालै, तेनामपेट, चेननै  कमारी िी की रििा "सावला रग", सुश्री आयूरी झा
                                                         ु
                                                                                   ं
                                                                                                    े
                                                        िी की रििा "साप और िवला" पपत्रका म पवर्र
                                                                                               ें
                                                                        ं
                                                                                 े
                                                              े
                                                                         ै
                                                        रूप स सराहिीय ह।
                  े
                                                    ं
             आपक काया्षलय विारा प्रकानर्त रािभारा दहिी
                                                                               े
                                                              ं
                           े
                     ं
                                  ें
         पपत्रका "आकाक्ा" क सातव अंक की एक प्रनत इस         दहिी  की  साथ्षकता  क  नलए  प्रयासरत  आपकी
                                                                                               े
                                                                           े
                                                                     ं
         काया्षलय म प्राप्त हुई। िनयवाि।                पपत्रका  "आकाक्ा"  क  उजिवल  भपवषय  क  नलए
                   ें
                                                                                 े
                                                        "सुगंिा" पररवार की ओर स हादिक र्ुभकामिाए।  ं
                                                                                      ्ष
                                        ं
             पपत्रका म प्रकानर्त सभी रििाए पठिीय, उतकष्ट
                                                    ृ
                     ें
         एवं  रोिक  ह।  पवर्रकर  "दृष्टात",  "गम  ओवर",
                     ैं
                                     ं
                                            े
                           े
                                 ें
         "भारतीय  नयायवयवसथा  म  पवलंब  एवं  समािाि"
                                       ें
                           ै
         अतयंत  प्रर्ंसिीय  ह।  पपत्रका  म  छप  छायानित्रों                                   भविीय,
                                            े
                              े
           े
         स  काया्षलय  म  हो  रह  पवनभनि  गनतपवनियों  की                                 दहिी अनिकारी
                       ें
                                                                                          ं
         िािकारी नमली। पपत्रका का मुखपृष्ठ आकर्षक ह।
                                                     ै
                                            धनयवाद
                                                                                                 13
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