Page 230 - Sanidhya 2025
P. 230
सेर्दस्योंं की सेवि�य भूागाीर्दारी �े माजिणपुर – रत्नोंं
ृ
की भूूविमा की सेांस्कृवितीक धरंहार कं उजागार
े
विकया। माजिणपरी �ृत्य, “एक भूारती, श्रेष्ठ भूारती”
ु
ं
ं
ं
की भूा��ा और पारपरिरक रगाारगा कायष�मांं �े
सेमान्वय और एकतीा का सेर्दशा विर्दया।
े
ं
ं
ू
क्षेेत्रीीय का�ा कद्र इम्फााल सेामाविहाक प्रयासेंं का
ै
एक जी�ती उर्दाहारण हा, जहाा सेस्कृविती, जिशाक्षेा
�
ं
ृ
ं
और कल्यााणकारी गावितीवि�जिधया सेाथा विमालकर
�
े
सेीआरपीएफ परिर�ारंं क जी�� कं सेमाृद्ध
ं
ं
बं�ातीी हा और गा�ष ए� अप�त्व की भूा��ा कं
ं
सेुदृढ़ा करतीी हा।

