Page 46 - Sanidhya 2024
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भुरावाी
                                                               ै
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                     कि�� मु �ंपहै� � लगभाग 2 बजा हैंग, उत्त�ाखुण्ड � पहैाड़ींं  �सं�ी त�फ �खु� लगा। तभाी अघाौ�ी �  े
                                               ं
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              मु  धैप � संार्थ हैल्की गलाबी ठड मु मुौसंमु संहैावा�ा र्था। उत्त�ाखुण्ड  �हैा  ‘�ंई  �हैींं,  है�  पतझेड़ी,  बसंत  �
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              �ा इला�ा वासं भाी अप� प्रा�कित� संौन्दया वा स्वाास्थ् वाधै� मुौसंमु �  आगमु� �ा सं�त �ता है। जाीवा� याहैी है  ै
                                                                            ं
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              किलए जाा�ा जााता है। 32 वा�  �ा ए� यावा� रुद्र आहैत मु� औ� बंकिझेल  भांल, चलता जाा। इसं पा� �हैींं तं उसं पा�
                                 ि
                                                                     े
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              त� � संार्थ अप�ी संाधैा�ण संी संाईकि�ल प� संं�प्रयााग सं गौ�ी�ण्ड  �ल्यााण हैंगा, अच्छा संंच, बहैत� ��।
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                                                                                      े
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              �ी  ओं�  अग्रसं�  र्था।  उसं�ी  संाईकि�ल  प�  संामु�  �ी  त�फ  ए�
                                                                                 े
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                                                                         या  हैी,  हैल्क-फल्क  मुाहैौल  मु  ं
                                                                                    ु
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              कि�लचस्प बंड लगा र्था, किजासं प� “भा��ता मुसंाकिफ�” किलखुा र्था। जासं- े             उपु.सिंन./मत्राा. पु�ा कामा�ी,
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                                                                  र्थंड़ीी �� बा� संवाा�ी गौ�ी�ण्ड पहुच  गयाी।   ग्रप �न्द् �.रि�.प.बल, �ामुप�
                                                                       े
                                                                                                         े
                                                                                                       े
                                                                                                     ु
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              जासं ‘��ा��ार्थ धैामु‘ ��ीब आ �हैा र्था, उसं�ा मु� बीत हुए संमुया �
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                                                               े
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                                                                  पहैाड़ींं मु शीामु जाल्दीी हैंती है औ� �ात गहै�ी।
                                                                        ं
                                                                                     ै
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              संलाब मु बहै गयाी उसं�ी खुकिशीयांं � �ा�ण धैड़ी�ता जाा �हैा र्था।
                                                                                                                  े
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                                                                                                       े
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                                                                  गौ�ी�ण्ड प� हैी संाधै-संतंं �ी �ंली � ए� �ी� शीड � �ीच बसं�ा
                                                                                  ु
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                     जासं हैी रुद्र गौ�ी�ण्ड � �ास्तु प� पहुचा,  वाहैा डया�ी प�  किलयाा। उन्हों� वाहैा आग जालाई औ� चा�� किबछुा �� पसं� गया। रुद्र �  े
                                                                           े
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              त�ात पकिलसं वाालंं �ी �जा� उसं�ी संाईकि�ल प� गयाी औ� उन्होंंने� रुद्र  भाी उसंी �ी� शीड � �ीच चा�� किबछुाई औ� �म्बल ता� �� ल� गयाा।
                                                                            े
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              �ं  �ं�त-�ं�त  �हैा  “ओं  भा��त  मुसंाकिफ�,  संाईकि�ल  सं  इधै�-  अगली संबहै कि�त्यं-किक्रयाा, स्नाा�-ध्या� � प�ात रुद्र याा�ा � किलए कि��ल
                                                          े
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              कि�धै�”? तम्हे मुालमु �हैींं कि� आग �ास्तुा �गमु है। र्थंड़ीी संी भाी इधै�-  गयाा। र्थंड़ीी �� मु रुद्र ��ा��ार्थ द्वाा� प� खुड़ीा र्था। रुद्र � जाा� �ौ� संी
                                                                                  े
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              उधै� हुई, तं �ाल � गाल मु संमुा� मु तकि�� भाी �� � लगगी। संाईकि�ल  संंच मु उसं द्वाा� �ं ए��� �खु जाा �हैा र्था। तभाी वाहैी अघाौ�ी रुद्र �
                                                                                       े
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              याहैीं �हैीं खुड़ीी ��ं औ� �क्सीी मु ल� जााओं। रुद्र अप� चहै� प�  पासं आया औ� बंल ‘है� है� मुहैा�वा‘। मुहैा�वा संब�ा � खु है�त है। त�  े
                                                            ं
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              फी�ी संी मुस्का� लायाा औ� फसंफसंायाा ‘मुौत आ हैी जााती तं अच्छा  भाी है�ग। याा�ा शीरू तं �� भांल‘। या बंल�� वां आग कि��ल गया। रुद्र
                                                                              ु
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              हैंता‘। तभाी पीछु सं संाधै-संतंं वा �शीालओंं �ी �ंली आ �हैी र्थी। किजा�मु  � धैी� सं ��मु बढ़ाायाा औ� अप�ी याा�ा शीरू  �ी। रुद्र किब�ा रु�
                                                               े
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              सं ए� अघाौ�ी � रुद्र � �धै प� स्नाहै सं हैार्थ �खुा औ� �हैा ‘भांल  चलता जाा �हैा र्था। 5 कि�लंमुी�� चल� � बा� उसं अघाौ�ी �ी आवााजा
                                   े
                                                                                             े
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              इ��ी बात मुा� लं, या संहैी �है �है है। संहैी-सं�किक्षत �हैगा, तभाी तं  किफ� आई। ‘है� है� शीभा‘। रुद्र � �खुा वां ए� चाया �ी ��ा� मु रु�
                                                       े
                                                                                                               ं
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              �छु �खु पायागा। रुद्र � पीछु मुड़ी�� �खुा ए� अघाौ�ी किजासं� अप�  हुए र्थ। उन्हों� रुद्र �ं इशीा� सं बलायाा औ� ए� चाया मुगवााई। �ं�ंं
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              बालंं � ऊँप� जाड़ीा बाधैा हुआ र्था। मुार्थ प� लबा कितल�, �संरि�याा  चाया  पीत-पीत  ��ा��ार्थ  �ी  घााकि�यांं  �ं  �खु  �है  र्थ।  अघाौ�ी  बंला
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                                                                                        ै
                                                                                     ु
                                                                                   ्
                                                                                ि
                                            ं
              �पड़ी, �धै प� ए� झेंला, गल वा हैार्थ मु रुद्राक्ष �ी मुाला औ� �सं�  ‘घााकि�यांं �ा संौन्दया अ�भात है‘। रुद्र बंला ‘हैा, इसं संौन्दया � अप�  े
                      े
                                                                                                            ि
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                                                                                                          े
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                   ं
              हैार्थ मु ए� छुं� सं कि�शील � संार्थ अलौकि�� ��-�ाठी एवा आ���  अ�� � जाा� क्या-क्या छुपा �खुा है‘। अघाौ�ी बंला ‘या ��ा��ार्थ �ी
                                                                                           ै
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                                                                              ु
              व्यखि�त्व �ा लग �हैा र्था। रुद्र उन्हो �खु�� अकिवाभात हैं गयाा औ� उसं�  घााकि�याा है भांल, �छु तं ��� हैी जाायागी। तभाी ऊँप� सं ए� गड़ीगड़ीाता
                                        े
                                                                        ै
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                                                                            े
                                                                                    े
                                                                                                           ँ
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                                                                       ै
                         ं
              आ�� सं हैा  मु किसं� किहैलायाा।                     हुआ हैली�ॉप्ट� कि��ला। गड़ीगड़ीाहै� �ी आवााजा सं रुद्र �ाप गयाा औ�
                                                                                                     े
                    े
                                                                  ए� अ�चाहै भाया सं अप� �ा�ंं प� हैार्थ �खु किलयाा। जासं या आवााजा उसं  े
                                                                               े
                                                                                                       ै
                                                                           े
                                                                                                         े
                                                                                    े
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                                                          ै
                                                               ं
                                                                          े
                                     रुद्र  अन्य  लंगंं  �  संार्थ  ए�  �क्सीी  मु  त�लीफ � �हैी हैं। रुद्र � अप�ी आखु ब� �� लीं औ� मुा�ं �छु
                                                                                                ं
                                                                                             ँ
                                                                                               े
                                                                                     े
                                                 े
                                                                                                                 ु
                                       संवाा� हैं गयाा। अपरि�किचत अघाौ�ी �  प�ा�ी याा�ंं मु चला गयाा हैं।
                                                               े
                                                                            ं
                                                                   ु
                                         �हैा ‘क्या बात है भांल, किजान्दगी
                                                         े
                                                     ै
                                                                                                     े
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                                                                           ि
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                                                                                                       े
                                                                                   ू
                                                े
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                                           सं बड़ी रुठ लगत हैं‘। रुद्र �     वा�  2013, जा� �ा मुाहै र्था। रुद्र अप� प� परि�वाा� � संार्थ
                                                                                                               े
                                                                                                       े
                                                                                               ु
                                             बात  �ं  अ�सं�ा  ��  ��ा��ार्थ आयाा र्था। 16 जा� 2013 �ं संबहै 5 बजा रुद्र � अप� मुा- ँ
                                                                                     ू
                                                                   े
                                                                                                           े
                                                                                                                े
                                                         ु
                                             कि�याा। अघाौ�ी � किफ� पछुा  किपताजाी, ए� छुं�ी बहै�, ए� छुं�ा भााई औ� �छु �ंस्तु जां अप�  े
                                                        े
                                                             ू
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                                                                                              ु
                                                                                                   े
                                                                         े
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                                                                                   े
                                                                                                          ु
                                              ‘अ�ल  हैं‘।  उ��ी  या  परि�वाा� � संार्थ आए र्थ, � संार्थ गौ�ी�ण्ड सं चढ़ााई शीरू  �ी र्थी।
                                                                                     े
                                                                                                               ं
                                                                         ँ
                                                                      े
                                                                                     े
                                              बात रुद्र � कि�ल मु �हैीं  उसं� मुा-किपताजाी लाठी � संहैा� सं चढ़ा �है र्थ। ��ा��ार्थ मु बहुत
                                                           ं
                                                                                          े
                                                                                            े
                                                     े
                                                                                                  े
                                                                                                       े
                                                                                                    े
                                                                                      ै
                                                                                        े
                                              चभा गयाी औ� वां रुआसंा  ज्या�ा बारि�शी  हैं �हैी र्थी। वासं तं ��ा��ार्थ मु अक्सी� बारि�शी  हैंती
                                               ु
                                                                                            े
                                                                                                    ं
                                                             ं
                                                                                                                 े
                                                                       ै
                                                                                                     े
                                                                                                                   े
                                             हैं  गयाा।  रुद्र  �  अप�ा  �हैती है। प� 16 जा� 2013 �ं � जाा� �ौ� सं बा�ल ब�सं �है र्थ,
                                                          े
                                                                                              े
                                                                                ू
                                                                      े
                                                     े
                                              े
                                            चहै�ा  �ीच  कि�याा  औ�  किजासं� ��ा��ार्थ �ा �ास्तुा मुखि�ल �� कि�याा र्था। रुद्र �ी मुा बहुत
                                                                                                               ँ
                                                                                       ु
                                                                        े
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