Page 62 - Darshika 2020
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               आज इस राजा की बभल द  जाएगी।"  डाक ु ओ क पुजार  ने काल  क महदर म पूजा आरम्भ की। राजा को
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                                                                    े
               बभल दने क भलए वहां लाया गया। पुजार  ने राजा क सार र्र र की अच्छी तरह जांच की। अचानक
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               पुजार  बोल उठा  "इस व्यश्टत की तो अंगुल  कट  हई ह। काल  मां अपूणष अंग वाल की बभल स्वीकार नह ं
                                                                                       े
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               करती।"

               राजा को बभल क अयोग्य पाने पर छोड़ हदया गया   कट  अंगुल  क कारण उसकी जान बच गई थी। अब
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                                                                         े
               राजा को भगवान जो की याद आई। उसने अपने सैतनकों को चारों ओर भेजकर भगवान जो को खोज कर
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               लाने का आदर् हदया।

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               भगवान  जो  को  ढूंढकर  लाया  गया  तो  राजा  ने  उस  गल  लगा  भलया  और  क्षमा  मांगी।  कफर  राजा  ने
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               पूछा   "भगवान जो,  अंगुल  कटने क कारण मर  तो जान बच गई। परतु मैंने तुम्ह दरबार स तनकाल हदया,
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               उसस तुम्हारा टया अच्छा हआ?"
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               भगवान जो बोला  "सरकार,  अगर आपने मुझ अपनी सवा स न तनकाला होता तो मुझ अपने साथ भर्कार
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               पर ल जाते। डाक ू  आपक साथ मुझ भी पकड़ते। मर  तो बभल द  गयी होती,  टयोंकक मेर सार अंग साबुत
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               थे।" राजा व सभी दरबार  चककत रह गए । तो राजा ने उसे गले लगा भलया और क्षमा मांगी।

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               सीख : हर बात का अच्छा पक्ष ह  दखना चाहहए। बुर पक्ष को ह  दखकर उसकी धचंता   म नह ं लग रहना
               चाहहए।
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