Page 58 - Darshika 2020
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लॉक डाउन
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एल. जर्र्ंकर, अ.श्र.र्ल.
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लॉकडाउन अथाषत तालाबंद । इसक तहत सभी को अपने-अपने घरों म रहने की सलाह द गई ह श्जसका
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सरकार की तरफ से कड़ाई से पालन भी करवाया जा रहा ह। यह इसभलए जऱूर ह, टयोंकक कोरोना वायरस
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नामक महामार मानव जातत क इततहास म पहल बार आई ह।
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अब पूरा दर् इस वायरस स लडऩे क भलए अपने-अपने घरों म कद हो गया ह। इस महामार क प्रकोप से
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लाखों लोग अपनी जान गवा चुक ह और इसस बचने का भसफ एक ह रास्ता ह और वो ह सोर्ल
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डडस्टभसग यानी कक सामाश्जक दूर । यह सक्रमण एक स दूसर इसान तक बहत तेजी स फलता ह श्जसक
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कारण भारत सरकार ने लॉकडाउन को ह इससे बचने क भलए आवश्यक कहा ह।
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अथाषत लॉकडाउन एक आपातकाल न व्यवस्था ह, जो ककसी आपदा या महामार क वटत लागू की जाती ह।
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श्जस इलाक म लॉकडाउन ककया गया ह, उस क्षेि क लोगों को घरों स बाहर तनकलने की अनुमतत नह ं
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होती ह। उन्ह भसफ दवा और खाने-पीने जैसी जऱूर चीजों की खर दार क भलए ह बाहर आने की इजाजत
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भमलती ह। लॉकडाउन क वटत कोई भी व्यश्टत अनावश्यक कायष क भलए सड़कों पर नह ं तनकल सकता।
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लॉकडाउन की वजह स मजदूरों को बहत नुकसान हआ ह, जो रोजमराष क काम से अपने घर का पेट पालते
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थे। आज उनक भलए एक वटत की रोट भी बहत मुश्श्कल हो गई। कई मजदूर ऐस ह, जो भूख पेट ह सो
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रह ह। अगर लॉकडाउन का सबस ज्यादा नुकसान ककसी को हआ ह तो वह ह मजदूर, जो अपने पररवार
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का पेट पालने क भलए हदन-रात मेहनत करते ह।
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