Page 55 - Darshika 2020
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यह िरती, चॉ ं द और सूयष,
नद , वन, पहाड़, जंगल,
सब टया तुम्हार अपन ह ।
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पर्ु, पक्षी ,पड़-पौिे सबका ह ।
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ह मनुष्य,
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तुम्हार यह लापरवाह , स्वाथी प्रक ृ तत न,
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कर हदया तुम्ह बद्हाल, बसहारा,
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डरते, कॉ ं पते, मॉस्क और सतनटाइज़र लगाकर,
एक-दूसर स दूर, जान बचान की
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स्वाथषता अब आदत सी बन गई ।
ह मनुष्य,
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प्रक ृ तत की उदासीनता का यह प्रततत्रबंब,
सबको सोचन पर मजबूर,
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सृश्ष्ट को सवषनार् स बचान का,
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करो उपाय जल्द ।।
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