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बाढ़
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यह स य ह ह क जल ह जीवन ह | परत कोई भी चीज आव यकता अ धक
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जब हम ा त हो, तब हम हा न पहँचा सकती है। इसी तरह जब वषा
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आव य ता स अ धक होती ह, तब उस बाढ़ कहलात ह और बाढ़ पया वरण और
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व छ दश, व थ दश
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जीव-जंत, पड़-प धो को हा न पहँचाती है|
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बाढ क कारण हमारा बहत नकसान होता ह। घर मकाने, इमारत गर जात ह
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और सब जगह पानी भर जाता ह। लोग बघर हो जात ह , प रवार बछड़ जात
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ह । ब चे अपने माँ- पता और प रवार स अलग हो जात ह । गांव-क-गांव और हम सबका एक ह नारा
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कभी-कभी तो शहर भी तबाह हो जात ह । साफ सथरा हो गाँव हमारा।
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हमार भारत दश म हर साल जलाई से लेकर अग त तक वषा ऋत होती है।
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इन मह न म कछ इलाक म तजे बा रश होती है। जसै े, गंगा मप यमना व छता क अ भलाषी ह हम
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आ द न दय म मा ा से अ धक पानी भरने के कारण बहार, असम जसै े
व छ शहर क वासी ह हम
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इलाक म बाढ़ से तबाह आ जाती है।
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कछ एक ह साल पहल, अग त क मह ने म तज़े वषा के कारण के रल म बाढ़
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कड़ा करकट भाग गया ह ै
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आ गई थी। उसम कर ब १०० लोग से यादा क म य हो गई थी। हाल ह म
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असम क इलाक म मप म यादा पानी भरने के कारण बाढ़ आ गई है। गांव मरा जाग गया ह।
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कर ब १०० स यादा लोग क म य क साथ २० लाख स यादा लोग भा वत व छता ह यय हमारा
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हो गए ह ।
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बाद स भा वत इलाक क लोग को बचाने क लए और नकसान को कम-स- े इस त का उपवासी दश हमारा।
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कम करने क लए दश क सरकार बहत मदद दती ह। लोग को बचाने का
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य न कया जाता ह, जहाँ उ ह खाने-पीने का सामान और डॉ टर से सहायता
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मलती ह। बछड़ प रवार को मलानेका भी हर यास कया जाता ह ।
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बाढ़ पी ड़त लोग क सहायता हम भी कर सकत ह । पस का दान, कपड़ और
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खाने का दान दया जा सकता ह। साथ-ह -साथ य द हम ऐसी जगह म रह रह
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सौहाद धार ९
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हो जह बाढ़ क संभावना ह तो हम हमशा आव यक सावधा नयां लनी चा हए।
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समाया ऐल ८
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