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P. 112

कम और भा य क  ल ला

                                                                         े
                                                                                                       ै
                                                                                                                                        े
                                                                  ै
                                               े
                     मन य इस धरती पर सबस शि तशाल   ाणी ह। उसक पास ब   तथा शि त दोन  ह और इस लए वह बाक   ा णय  स जीतकर इस भ म पर
                                                                                                                                                       ू
                         ु
                                                                                 ु
                                                                  े
                                                                                           े
                                                ै
                                                                                                                                            ै
                     अपना जय तंभ फहरा रहा ह। उसने बहत सार आ व कार  कए ह  िजसस उसने अपने ह  जा त को और ताकतवर बनाया ह। परत इस ब
                                                                                                                                                         ु
                                                                                                                                                 ं ु
                                                           ु

                                                                                                          े
                                                                                                                                                      े
                                                                             े
                     का  या फायदा जब यह  मन य अपने काम को भलकर कवल अपने भा य का सहारा ल रहा ह? य द हम  सफ भा य का सहारा लग और

                                                                                                                 ै
                                                 ु
                                                                      ू

                                                                             ै
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                     हमार कम नह ं कर ग तो भा य का भी कोई फायदा नह ं ह। भा य तभी काम करता ह जब हम हमार  ओर स  यास करत ह ।
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                                                                                                        ै
                                                                                                                               े
                                                                                                                                           े
                                                                                                            े

                     हम  कवल हमारा कम करना ह और  फर य द दभा  य हो तो शायद उसका फल नह ं  मल और य द सौभा य हो तो हम  हमारा फल  मल
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                                                   ै
                                                                    ु
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                     सकता ह। भगवद गीता म   वयं  ी क ण ने कहा ह,
                                                                        ै
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                     "कमणय वा धकार त मां फलष कदाचन।

                                                  े ु


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                     मां कमफलहतभ: मांत संङगो  वकम ण”।।
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                                 े ु
                                                              ै
                                                                    े

                                                                                                                    े

                     अथा त हमारा कम करने म  ह  अ धकार ह, उसक फल  म  कभी नह ं। इस लए हम  फल क   ि ट स कम नह ं करना चा हए और न ह  ऐसा
                                                े
                     सोचना  क फल क  आशा क  बना म    कम    य  क  ँ । आपने सना होगा  क रो गय  के  इलाज के   लए जब व ै य के  पास
                                                                                ु
                                                                                              े
                                                                                                े
                                                                                                                                                    ै
                     कोई दवा नह ं रहती तो वह एक मामल  व त को दवाई कहकर रोगी को द दता ह। रोगी का मन सोचता ह  क वह सच म  दवा ह और
                                                                                                     ै
                                                                                                                              ै
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                                                                                                               े
                                                                                                                                             े
                     उसका रोग चला जाता ह  य  क उसने वसी मान सकता रखी थी। वस ह  य द हम सोचत रह  क भा य हमारा काम कर लगा, भा य हम
                                                                                                           े
                                                                                         े
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                     जीता दगा और हम हमार कम कर  तो अव य हमारा ल य  ा त हो जाएगा। परत जस मन   े पहला कहा, य द हम कम न कर  और सब भा य
                                                                                                        ै
                                                                                                         े


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                                  े
                                                                                      े
                                                          े
                     पर ह  छोड़ द तो हम सफल नह ं ह ग और हम भा य को दोष द ग।
                                                                     े
                                                                                                          े
                     आपको अ सर सड़क पर बहत  भ ुक नजर आत ह ग और शायद आपका  दय उ ह  दखकर
                                                                          े
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                                                                                             े
                     पसीजता होगा। परत यह वह  लोग ह  िज ह ने अपना परा जीवन भा य क हाथ  म  रखा और इनक  हालत अब बहत दयनीय ह। अब आप
                                                                           ू
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                                                                                                                                     ु
                                                                          े
                                                     े

                     कह ग  क य तो गर ब लोग ह, य भला  या कम कर ग?  इसका उ तर भी ह  मर पास।  कतने सार लोग गर ब ह और  नर र ह  फर भी वे
                                                                                                                    े
                                                                                                                                                 ै
                                                  ै
                                                                                                  े
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                                                                                                                                  ै
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                          े

                     अपने सपने पर कर रह ह !  या दभा  य ने इन लोग  को छोड़  दया ह? नह ं। इ ह ने अपना कम  कया ह और उस कम का फल उ ह   मल
                                                                                                                            ै
                                                                                         ै
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                                    े ू
                                                       ु
                                                                                                                           ै
                     रहा ह। य भी तो गर ब ह,  भ ुक भी गर ब ह परत इन दोन  म  अतर यह ह  क जो गर ब पढ़  लख ह, उ ह ने अपना जीवन भा य क हाथ
                               े
                                                                                       ं
                           ै
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                                                                  ै
                                                                                                                                                         े
                                                                                                                  े
                                                                                                                        े
                                                                                                 ै
                                                                      ं ु

                     म  नह ं रखा और अपने कम करत गए।
                                                      े
                     अब म    बस इतना कहना चाहता हँ  क य द आपको जीवन के  स चे सख को पाना है, तो आप अपना कम   क िजए। भा य उन कम  पर
                                                                                          ु
                                                      ू
                                                                                         ै

                     नाचेगा और आपको आपका फल  मल जाएगा  य  क कम ह  जीवन ह।

                                    जग नाथक णन नायर १०
                                               ृ
                                                                                                                                                                               110
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