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       गम

                                                                                                       -मुकश राजू

                                                                                                                 10व  ‘ब’
                                                                                                                रोल न:36


       गम  क िदन बड़ा सताते।
       पसीने से तरबतर हो जाते।।
       सूरज हो रहा बेरहम।
        कह  खेलने जाए हम।।
       तप रह  ह यह धरती।

       सूखी नद  आह भरती।।

        ु
       क   का आया जमाना।
       शरबत को भी आजमाना।।
       आम फल  का ह सरताज।

        गम  म  इसका ह राज।।


       पानी तो अब लगे ह  ारा।
       एसी कलर बन गया  ारा।।
             ू
       हमको तो बस यह  ह कहना।

       ओ गम  तुम दूर ह  रहना ।।
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