Page 24 - Epatrika2020_KV2 AFA HYD
P. 24
-5-
दश भि पर शायरी
-अनंत ब ोई
क ा :- १० अ
सदन :- टगोर
रोल न:- २०
1. यह रहूँगा कह उ भर न जाउँगा, ज़मीन म ह इसे छोड़ कर न जाऊँ गा।
2. उनक हौसले का भुगतान ा करेगा कोई, उनक शहादत का क़ज़ द श पर उधार ह , आप और हम इस
लए खुश-हाल ह क, सीमा पे सै नक शहादत को तैयार ह।
3. तीन रंग का नह व , ये ज द श क शान ह , हर भारतीय क िदलो का ा भमान ह , यह ह गंगा, यह
ह हमालय, यह ह क जान ह, और तीन रंग म रंगा हुआ ये अपना हदु ान ह|
4. जो द श क लए शह द हुए उनको मेरा सलाम ह अपने खून से जस ज़मीन को स चा उन बहादुर को
सलाम ह|
ु
5. श ा-ऐ-वतन क लौ पर जब कब न पतंगा हो
होठो पर गंगा हो और हाथो म तरंगा हो।
6. म जला हुआ राख नह , अमर द प हू ँ ,जो मट गया वतन पर ,म वो शह द हू ँ।
7. फ़ना होने क इजाजत ली नह जाती ,ये वतन क मोह त ह जनाब
पूछ क नह क जाती।
8. तीन रंग का नह व ,ये ज द श क शान ह ,हर भारतीय क िदलो का ा भमान ह ,येह ह गंगा , यह
ह हमालय , यह ह क जान ह,और तीन रंगो म रंगा हुआ ये अपना हदु ान ह।
ँ
9. म अपने दश का हरदम स ान करता हू,यह क म का ह गुणगान करता हू,
ँ
मुझे डर नह ह अपनी मोत से , तरंगा बने कफन मेरा, यह अरमान रखता हू ँ।
10. लड़ जंग वीर क तरह,जब खून खौल फौलाद हुआ
मरते दम तक डट रह वो,तब ह तो दश आजाद हुआ | जय ह