Page 10 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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अंत में मैं अपन इस पत्रत्रका क संपादन क ववषय में
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इतना ह कहना चाहगी कक ककसी भी पत्रत्रका क संपादन का मरा
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यह प्रथम प्रयत्न था और मैं क ें द्रीय विद्यालय संगठन की
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आभार रहगी कक संगठन की तरफ से मुझे यह अवसर प्राप्त
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हआ। ककसी भी कायम को हमें बोझ नह समझना चाहहए बक्ल्क
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उस करन क ललए पूर्म महनत व मन स कमम करना चाहहएI
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प्रत्यक कायम अवश्य ह क ु छ ना क ु छ नया लसिाता हI इस पत्रत्रका
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क यनमार् न मुझे भी बहत क ु छ लसिाया। आशा ह आपकी ललिी
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रचनाओं को क्जस प्रकार प्रदलशमत ककया गया ह, वह आपको
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रुचचकर लगगी तथा इसस प्रत्यक बच्चा प्ररर्ा लगा व भववष्य में
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हर बच्चा अपनी मौललक रचना प्रथतुत कर ई-पत्रत्रका सम्पादन क े
उद्दश्य को पूर्म करन में अपना योगदान दगा I
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वप्रयंका स्िामी
प्र. स्ना. भश., संस्कतI
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क ें द्रीय विद्यालय बडोपल, फतेहाबािI
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