Page 9 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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            तथा भाषायी ज्ञान को उचचत ऱूपर् प्रदलशमत करन का पूर्म प्रयत्न
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            मर द्वारा इस ई-पत्रत्रका में ककया गया ह। आशा ह अन्य बच्चों क
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                                                                   े
                                                                                        े
            लिन  कला  व रचनात्मक  कौशल  स  आप सभी  प्ररर्ा  ग्रहर्  कर
            इस पत्रत्रका क े संपादन क े उद्दश्य को सफल बनायेंगI
                                                         े
                                                                                         े
                      आज  क  छात्र  कल  क  लिक,  कवव,  पत्रकार,  चचत्रकार  व
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                                                              े
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            दाशमयनक हैं। बच्चों क अंदर सजनशीलता क ववकास में ववद्यालय
                                                                             े
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            पत्रत्रका की महत्वूपर्म भूलमका होती ह।
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            माना की वतममान पररक्थथयत भावों की अलभव्यक्तत क े ललए उचचत


            नह ं  है  ककन्तु  लक्ष्य  की  ओर  बढ़ते  हर  व्यक्तत  को  यह  समझना


            चाहहए  कक  जीवन  में  आदशम  पररक्थथयतयों  जैसा  कभी  क ु छ  नह
                                                                                                              ं

            होता। कभी धाराए अपनी दिशा में तो कभी प्रततक ू ल दिशा में होती
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            ह। ऐस में,  हर व्यक्तत का यह  कतमव्य ह कक वह बगैर हहम्मत हार,
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            पूर  क्षमता स अपनी पतवार चलाता रह। राष्रवपता महात्मा गाधी
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                                                                            े
            व्यक्तत  क  आत्मबल  पर  िूब जोर  दते  थ।  याद  रह  कक  मुक्श्कल
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                                                                                           े
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            पररक्थथयतयों  में  व्यक्तत  का  आत्मबल  ह   सबस  अचूक  हचथयार
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            होता  ह।  हमें  अपन  आत्मबल को  इतना  ऊचा  और  अपन  संकल्प
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            को इतना दृढ़ बना लना चाहहए कक ककसी भी पररक्थथयत में हमार
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            मानलसक शांयत पर आँच न आ सक।
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