Page 8 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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संपािक की कलम स
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कहा जाता ह कक संपादकीय स संपादक का पूरा व्यक्ततत्व
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झलकता है..संपादकीय पष्ठ क माध्यम स संपादक की साधना एवं
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कममठता झलकती ह..संपादकीय पष्ठ ककसी भी पत्र-पत्रत्रका की आत्मा
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होता ह, वह उसकी अंतरात्मा की आवाज होता ह, मैं नह जानती कक
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मर द्वारा ललखित इस संपादकीय लि स मैं इन मापदडों को ककतना
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पूर्म कर सक ूं गी, कक ं तु इनकी पूर्मता हतु प्रयास अवश्य रहगा I
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पाठक प्रत्यक पत्र-पत्रत्रका का अलग व्यक्ततत्व दिना चाहता ह उसमें
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क ु छ ऐसी ववशेषताए दिना चाहता ह जो उस अन्य पत्र-पत्रत्रकाओं स
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लभन्न करती हI आपक सहयोग से मर द्वारा भी इस पत्रत्रका क
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संपादन में क ु छ ऐसा ह करन का प्रयास ककया गया ह।
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बच्चों की रचनात्मकता को उचचत अवसर प्रदान करन क उद्दश्य स
क ें द्रीय विद्यालय बडोपल द्वारा मुझे यह ई-पत्रत्रका संपादन का
दाययत्व सौंपा गया क्जसस ववद्याचथमयों क मौललक चचंतन को उचचत
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बढ़ावा लमल सक I बच्चों की लिन कला चचत्रकला रचनात्मक कला
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“ककसी भी विद्यालय की पत्ररका उस विद्यालय का िपषण होती ह।“