Page 5 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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संदेश
तत्कमव यन्न बंधाय सा विद्या या विमुक्तये।
आयासायापरम कमव विद्यान्या वशल्पनैपुणम।।
- श्रीविष्णुपुराण
अर्ावत जो बंधन उत्पन्न न कर िही कमव है जो मुवक्त का मागव
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प्रशस्त कर िह विद्या है। शेष कमव पररश्रमऱूप है तर्ा अन्य
विद्यायें तो मात्र कला कौशल ही है।
भारतीय ऋवष-मुवनयों ि मनीवषयों ने ज्ञान (विद्या) को मनुष्य की
मुवक्त का साधन कहा है। मनुष्य को भय, भूख, दुर्णिकार ,
दुष्प्रिृविया, दुराचरण, वनबवलता, दीनता ि हीनता, रोग, शोक
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इत्यादद से मुवक्त की अवभलाषा अनंतकाल से है। श्रीविष्णुपुराण
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का उपरोक्त महािाक्य यही संदेश देता है दक मनुष्य को ज्ञान क
द्वारा अपने समस्त क्लेशों से मुवक्त पाने का पुरुषार्व करना चावहए
। विद्या त्याग और तपस्या का सुिल होता है इसवलए ज्ञान की
उपलवधध सदैि श्रमसाध्य है।
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