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इसीिलए, उ�री
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आहाज़ न चतावनी के सदेश रा� का सचमच
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को अ� से ग्रहण िकया.... आराम के साथ
गठब�न �आ है!
उनकी िनयत हम
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आरािमयों न एप्रैम म� पर उपद्रव करन की
त� खड़े िकय ह�। है!
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वे तुझे तरे
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िसहासन से
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उतारना चाहत ह�!
यह भयानक बात है!
हम �ा कर�?
शायद हमारा खुद का
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एक गठबधन हो... ?
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और प्रभु न यशायाह
से कहा ....
तू और तेरा पुत्र
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शायाशब
जाकर...
“... और उसे
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“....धोिबयों के खेत के मेरा सदेश
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राजमाग से उपरी दे।”
तालाब की नाली के
पास आहाज़ से यह �ा है,
िमल....“ यशायाह?
....जो पानी का मु�
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स्रोत है , हम� यह पता एक आशा का सदेश,
करना चािहए िक यह राजा आहाज़।
सरि�त है।
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प्रभु कहता है मत
डर।
आहाज़।
देख।
8 8 यशायाह 7:1-4
यशायाह 7:1-4