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“ प्रभु की
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“लिकन ियश के घरान े आ�ा उस पर
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के तन म से, एक शाखा होगी।”
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िनकलगी।”
“वह स�ाई से
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�ाय करगा।”
“वह पृ�ी पर शा��
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लायगा।”
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“सार रा� � ियश की इस शाखा की
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ओर िफर�ग, और सभी लोगों के िलए
एक ही झंडा होगा!”
“ प्रभु का िदन “ प्रभु के क्रोध से
आ रहा है!” पृ�ी िहल जाएगी!”
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“बबीलोन िगर
जाएगा! अ�ूर का
�ाय िकया जाएगा!”
“मोआब तबाह हो
जाएगा! आराम न�
हो जाएगा!”
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“पूरी दिनया का
�ाय िकया “�ोंिक पृ�ी इस पर
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जाएगा!” रहन वालों के कारण
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अपिवत्र और प्रदिषत हो
गयी है!”
“पाप और अपराध
का शाप इसे न� कर
रहा है!”
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“लिकन िह�त
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रखो! परम�र बदल े
के साथ आ रहा है—”
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“—लिकन वह
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त�� बचाएगा!”
“आनंद के जयकार
के साथ प्रभु का
उ�ार िसयोन से प्रकट
होगा!”
“ दुः ख और
उदासी चली
जाएगी!”
यशायाह 11-35
यशायाह 11-35 11 11