Page 20 - lokhastakshar
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म ऐसा नह"ं चहता ह। लेखन क िलए जंगल- म इL*
थ भारती जो मु9कल स ह" *कािशत हो
घूमना ह" पड़गा। हमारा जो दश ह, वह एक कोन पाती थी, हमन उसको मािसक #कया। आज भी
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स दूसर कोन तक िसफ शहर नह"ं ह, यहां गांव लोग याद करत, कहत ह #क आप ,य- चली गई,
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और जंगल ह" Gयादा ह। उनक7 खबर अगर लेखक तो मQ कहती हूं #क मQन तो एक र"त डाल द" ह,
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नह"ं लेगा तो कौन लेगा। आजकल क लेखक- क7 अब आप उस पर चलत र#हए।
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पूछ रह" हो तो मQ कभी-कभी उ2ह पढ़ लेती हूं।
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अSछा ह िलख रह ह। कलम तो चल रह" ह।
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कqयूटर तो चल रहा ह। ले#कन मQ #फर कहूंगी #क
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ज_र" ह #क लेखक- को इन गुमनाम कहािनय- को
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इन लोग- क7 बात को सबक सामन लाना होगा।
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बताना होगा #क यह लोग भी हमार दश क
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नाग8रक ह। वोट दत ह, सं?वधान न इनको भी
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हक #दया ह। अगर हम इनक बार म, य #कन
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हालात- म ह, य नह"ं जान5ग, इनक दुख-दद को
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नह"ं समझग, नह"ं िलखग तो कौन िलखगा और
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अगर िलखग नह"ं तो आप लोग- तक, पाठक- तक
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कस पहुंचग और जब पहुंचग नह"ं तो #कसी भी
सुधार क7 उ6मीद करना बेमानी ह।
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मीना ी : आप 2015-18 म5 #हंद" अकादमी
#दUली क7 उपाrय रह"ं, इन तीन वषo का
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अनुभव कसा था?
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कार- क प पात क समथ न म भी मQ कभी
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मै<यी : अनुभव अSछा था। उस समय जो नह"ं रह"। 9ज2ह-न बेहतर काम #कया और उपे9 त
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तFकालीन मु यमं<ी थ, उ2ह-न कभी मेर" एक भी रह, यह तो कोई आदश 9
थित नह"ं ह। अपन
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बात नह"ं काट"। मQन कई नए फसल भी िलए। कई िम<- और प8रिचत- को पुर
कार बांटन क प म
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पुरान िनयम- को बदला ता#क हमार लेखको को मQ कभी नह"ं रह" और आज भी नह"ं हूं। अकादमी
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बेहतर आिथ क मदद िमल सक। उनक {या यान- स उन लोग- को पुर
कार िमल तो उसक सह"
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का, उनक लेखक का उ2ह उिचत अनुदान िमल हकदार थ। तीन वषo क काय काल म मेर #कसी
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सक। लोग गवाह ह क अकादमी क7 प?<का भी िनण य पर कोई उगली नह"ं उठाई गई, कोई
मई – जुलाई 20 लोक ह
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