Page 19 - lokhastakshar
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कबूतरा 9जनको पुिलस जब तक #कसी भी जुम क तो साल- यह*ं पड़" रह"। घरवाल- को डर क मार
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िलए चाह जो उ2ह-न #कया या न #कया हो, बताया भी नह"ं #क वह सोचग #क यह कहां
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मारपीट करक जल म ठेल दती थी ले#कन अब कबूतरा म चली गई जो ज2मजात अपराधी ह।
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हमन संकUप िलया ह क हम यह अ2याय अंेज- क समय स ह" कबूतर- पर अपराधी होन
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कबूतरा लोग- क साथ नह"ं होन दगे। जब इतन का लबल च
पा कर #दया गया। इ2ह #)िमनल
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बड़ अिधकार" न एक पूर" जनजाित को 2याय
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#दलान का संकUप एक #कताब पढ़कर िलया तो
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मुझ लगा #क असर तो पड़ता ह। बदलाव धीर-धीर
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होत ह, और ह-ग, ऐसी ह" उ6मीद होनी चा#हए।
मीना ी : आज भी बड़े पैमाने पर नवलेखन हो
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रहा ह। नए लेखक/ले9खकाए उभर कर आ रह" ह।
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नई #हद" क7 य अलग बयार चल िनकली ह। आज
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क समय क लेखन और सृजन क7 क#ठनाइय- को
लेकर आप ,या कहना चाहगी?
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मै<यी : सृजन क7 क#ठनाइयां उनके सामने हQ ह"
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नह"ं, ?बलकल भी नह"ं ह। आज क लेखक बड़
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आराम स िलखत ह। उ2ह बीहड़- म भी रहन क7
ज_रत नह"ं। मानो सारा भारतवष हमार नगर- या
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महानगर- म ह" बस रहा तो ऐसा लगता ह, तो
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नव लेखक- को ,या #द,कत ह? सब सु?वधाए ह।
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मेरा यह कहना ह #क हम लेखक सु?वधा भोगी हो Rाइब ह" कहा जाता ह। यह जुम कर या ना कर,
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गए ह। हम पानी चा#हए। ?बजली चा#हए। ए.सी. अपराध हो ना हो ले#कन उनका नव ज2मा बSचा
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चा#हए, ,या-,या नह"ं चा#हए और जब यह सब भी अपराधी माना जाएगा। तो यह सब जानन और
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होता ह, तब सृजन क7 राह बनती ह। बाबा समझन क िलए वहां जाना पड़गा। यहां #दUली म,
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नागाजु न न अपना नाम या<ी रख िलया था। एसी म बैठकर, तो यह पता कर पाना मु9कल ह।
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लेखक क िलए तो या<ाए और खानाबदोश ह" बहुत मQ यह" कहूंगी #क हम लेखक- को सु?वधाओं क7
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ज_र" ह। अगर मQ कबूतरा म ना रहती तो अUमा आदत हो गई ह। हम कह"ं जात भी ह तो भी यह"
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कबूतर" िलख पाती, सवाल ह" नह"ं पैदा होता। मQ दखत ह #क आग सु?वधाए #कतनी िमलेगी। लेखन
मई – जुलाई 19 लोक ह
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