Page 24 - lokhastakshar
P. 24
भोग
सांय-सांय करती दोपहर" क7 तपन उdरोdर बढ़ती जा रह" ह। आंगन म खड़ पेड़- क7 परछाई
5
ै
े
5
5
े
े
ै
5
े
ै
सहमी हुई सी पेड़- म ह" दुबक7 हुई ह। घर म वह अकला ह – िनता2त अकला। सून घर म स2नाटा भूत
े
ै
े
े
क7 तरह डोल रहा ह। उसक7 मां छोट भाई-बहन- का साथ लेकर मोहUल म ठेकदार िशंगारा िसंह क यहां
5
े
Q
ै
5
ु
े
े
अखड पाठ क भोग म गई हुई ह। गम| क7 छ#टटय- क कारण कॉलेज बंद ह। अिधकांश दो
त भी शहर
5
म नह"ं ह। छ#टटयां ?बतान 8रतेदार" म दूसर शहर- म गए हुए ह। उसका निनहाल इसी शहर म ह। हर
े
ु
े
Q
5
ै
Q
5
5
5
5
े
े
ै
5
साल खड़" गम| म सजा अपन शहर म ह" काटनी पड़ती ह उसे। आंगन म धूल भर अंधड़ का झ-का
े
े
े
बवडर बनकर उतर आया ह। मेन गेट खट स खुल गया। सूख धूसर पd, मैल- जूठे कागज और अखबार
ै
े
े
े
े
े
े
े
क टुकड़ आंगन क बीच--बीच बाल खोल भूतनी क7 तरह नाचन लगे। सहमेपन स इस भूतनी का नाचना
ै
दखता ह वह। नाच जब बंद हो जाता ह और बवडर उड़ कर कह"ं ओर चला जाता ह तो मेन गेट बंद
े
ै
ै
ै
े
े
े
े
करन क िलए उठना चाहता ह पर ऊब और आलस क कारण उसका शर"र साथ नह"ं दता। चारपाई पर
े
े
े
5
े
ै
ै
ह" पसरा रहता ह। ऊब स उबरन क िलए एक बार #फर स ए,सचज करक लाया उप2यास उठा लेता ह।
े
ै
}?y अचानक एक पृx पर #ठठक जाती ह –
े
ै
5
“चट – चट – चट ,,,,,,,, उसक bलाउज क बटन पस2द करता ह। इस बार इनम स #कसी लेखक
े
े
े
तड़तड़ा कर टूट गए और उसक उरोज,,,,,,,” एक का नावल नह"ं िमला तो हुरना कानपुर" का यह
5
ै
ै
ह" सांस म वह पूरा पृx पढ़ जाता ह। नावल उठा लाया ह।
े
5
े
े
े
े
“और उसक उरोज,,,,,,,,,” य तीन शbद उसक नावल म मद और औरत क 9ज
मानी 8रत क7
र^ म सनसनी सी भर दत ह। बाहर चल रह" खूब खुली चचा ह। 9जसक7 वजह स नावल
ै
5
े
े
े
Q
े
5
े
ै
े
5
ै
लू उसक र^ म बहन लगती ह। उसक शर"र म अराजकता पैदा कर रहा ह।
े
नावल क कवरपेज पर एक अध नuन अंेज मेम
े
यह नावल वह सीसाभाऊ बाजार क7 रलव लाइन
े
े
का रगीन िच< अं#कत ह। मेम क अध नuन व
ै
ं
े
े
े
क7 ढाल पर बैठन वाल बUलू कबाड़" स
े
bलाउज क7 सीमा रखा का अित)मण कर
ै
े
ए,सचज करक लाया ह। बUलू कबाड़" चार आन
5
े
े
े
Q
े
bलाउज स बाहर झांक रह ह। इस यह #कताब
ै
े
लेकर हर तरह क7 #कताब बदल दता ह।
े
नह"ं लानी चा#हए थी। ?पताजी क हाथ पड़ गई
सीसाभाऊ बाजार बुधवार, शु)वार ओर र?ववार
े
तो चमड़" उधड़ कर रख दगे। उ2ह तो यह भी
5
5
को लगता ह। उस #दन खूब भीड़ होती ह बUलू
ै
ै
5
पता नह"ं #क यह कोस क7 #कताब- म नावल
ु
क7 फटपाथ पर सजी दुकान पर। वह गुलशन
छपा कर पढ़ता ह। वह तो उस और उसक सब
े
ु
े
ै
े
ु
न2दा, कशवाहा का2त, qयारलाल आवारा,
े
भाई-बहन- को अपन साथ बैठा कर सुबह-शाम
े
आ#दल रशीद, सोमनाथ अकला, *ेम वाजपेयी,
5
े
े
Q
गाय<ी म2< का जाप करवात ह। घर म र#डयो
े
े
गो?बंद िसंह जैस लेखक- क नावल पढ़ना अिधक
ै
े
5
तो ह पर उस ?पताजी अपनी अलमार" म ब2द
मई – जुलाई 24 लोक ह
ता र