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P. 44

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               1दखाई दती ह। उसक पीछ वहां क  #मथक'  म            जाने लगता ह। इस तरह बात +क ृ %त पर मनुMय
                                                                                          ै
               मौजूद  +क ृ %त  क  अ%तशय  भयकार!  Uच6ण  एक       क> Pवजय तक पहच जाती ह।
                                                                                ं
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               बड़ी भू#मका %नभाते ह। ई`वर मनुMय' को दड दन         –ीको  रोमन  काल  से  ह!  मनुMय  क>  आंतKरक
                                                            े
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               क #लए +क ृ %त क> शि&तय' का, यानी बाढ़, बाKरश      +क ृ %त को मनुMय क #लए उपयोगी व तु बनाने क
                                                                                  े
                                                                                                             े
               , 5बजल!, आग,  अकाल , Vवालामुखी, 1हमपात आ1द       +यास  आरभ  हो  जाते  हg।  उस  कला  व तुओं  क
                                                                                            े
                                                                          ं
                                                                                                             े
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               का  इ तेमाल करता 1दखाई दता ह।                    उ?पादन  क  #लये  रचनाशील  होने  वाल!  आंतKरक
                                                                          े
                                                                         े
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               बाद म जो –ीको रोमन दश न सामने आते ह, वहां        सामlय  क dप म दखा जाने लगता ह। इस तरह
                                                                                   े
                                                                                                   ै
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                                                                                                े
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                                                                                                             े
               +क ृ %त  को  ई`वर  क  आदश   या  मूल  Pवचार  क>   पि`चम  म  रचनाशीलता  +क ृ %त  क  संसाधन'  क
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                                  े
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                                7
               अनुक ृ %त क dप म दखा जाता ह। हालां9क सुकरात      उ?पाद'  और  पुनk?पाद'  क  साथ  गहराई  म  जुड़ी
                                                                                        े
                                                                        ै
                                            े
               और  yलेटो  क>  ऐसी  धारणा  क  बरअ&स  अर तु       रहती  ह।  जहां  तक  सा1ह?य  और  कला  क>
                                                            े
               थोड़ा अलग तरह का  िMटकोण + तुत करते हg। व         रचनाशीलता  का  संबंध  होता  ह,  वहां  भी  इस
                                                                                               ै
               बाहर  क>  +क ृ %त  क  साथ  मनुMय  क>  +क ृ %त  क>   मनुMय-उपयोगी  होने  वाले  प   को  Pवचारणीय
                                 े
                                   े
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               पूरक  भू#मका  को  दखते  हg।  अर तु  और  yलेटो    माना  जाता  ह।  बाद  म  सा1ह?य  और  कला  क>
                                                                                      7
               मनुMय क> +क ृ %त को बाहर! +क ृ %त का अनुकरण      रचनाशीलता  का  संबंध  मनुMय  क>  स}दय मूलक
               करने  वाल!  व तु  क>  तरह  दखते  हg।  इस  तरह    अ#भkUचओं और जdरत' क> पू%त  से भी जुड़ जाता
                                           े
                                                                                                7
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                                                                      ं
                                                                                                             ै
                                                                 ै
               उनक  मुता5बक  मनुMय  क>  +क ृ %त  म  जो          ह।  परतु  वहां  भी  यह  बात  क\  म  बनी  रहती  ह
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               रचनाशीलता 1दखाई दती ह, वह दरअसल बाहर क>          9क  मनुMय  क>  आंतKरक  +क ृ %त  का  संबंध  मूलतः
                                       ै
                                   े
               +क ृ %त का उ?पादनमूलक अनुकरण करने क> वजह         बाहर  क>  +क ृ %त  क  स}दय मूलक  पुनk?पाद'  क
                                                                                                             े
                                                                                   े
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               से  मनुMय'  म  दखी  जाती  ह।  परतु  अर तु  इस    साथ ह! होता ह।
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                                                                              ै
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               Pवचार से सहमत नह!ं होते। वे मनुMय क> +क ृ %त     इस  तरह  हम  दख  सकते  हg  9क    मनुMय  क>
                                                                                े
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                                        g
               को अ%तKर&त मह?व दते ह और यह मानते हg 9क          उ?पादनशीलता  िजतनी  बढ़ती  जाती  ह,  उसक>
                                                                                                      ै
               मनुMय बाहर! +क ृ %त का अनुकरण ह! नह!ं करते,      रचनाशीलता  क>  सामlय   भी    उसी  अनुपात  म
                                                                                                             7
               अPपतु  अपनी  आंतKरक  +क ृ %त  क>  ज़dरत'  क       Pवक#सत होती जाती ह। उ?पादन पW%तय' म आए
                                                            े
                                                                                                        7
                                                                                    ै
               मुता5बक बाहर! +क ृ %त म मौजूद क#मय' क> पू%त      पKरवत न, बाहर! +क ृ %त क संसाधन' क पुनk?पाद'
                                      7
                                                                                       े
                                                                                                  े
               भी करते हg।
                                                                                                         ं
                                                                                ं
                                                                                                         ु
                                                                को ह! एक नये ऊचे Pवकास- तर पर नह!ं पहचाते,
                                                                                                             े
                        े
               अर तु  क  बाद  पि`चम  म  मनुMय  क>  +क ृ %त  का   मनुMय  क>  आंतKरक    +क ृ %त  क>  रचनाशीलता  क
                                       7
                                                                         7
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                                 े
               बाहर  क>  +क ृ %त  क  साथ  Kर`ता  बदल  जाता  ह।   संबंध  म  भी  गुणा?मक  पKरवत न  लाते  हg।
                                           े
                                                                                                         े
               मनुMय को बाहर क> +क ृ %त क पूरक क> तरह ह!        |वं|वा?मक  िMट से मनुMय क> अंतः+क ृ %त क जो
               नह!ं  अPपतु  उसको  %नयं6ण  करने  और  उसका        सां क ृ %तक  उ?पाद  होते  ह,  उSह  भी  उ?पादन
                                                                                          g
                                                                                               7
                                                      े
               अपने  प   म  तथा  अपनी  सुPवधाओं  क  #लए         पW%तय'  से  जुड़े  भौ%तक  उ?पादन  क  ऊपर!  ढांचे
                                                                                                  े
                            7
                                                                          े
               इ तेमाल  करने  क>  सामlय   से  यु&त  भी  माना    क>  तरह  दखा  जा  सकता  ह।  यह  Pवचार  एंगnज़
                                                                                          ै
                                                                                                          े
                                                                                                             े
                                                                और मा&स  क भौ%तकवाद! |वं|वा?मक दश न'  स
                                                                            े
               मई – जुलाई                             44                                                                   लोक ह ता र
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