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P. 48

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               क  भय  स  उपजी  हई  पूजा  नह!ं  ह।  अPपतु  वह     मता  पर  अUधक  भरोसा  9कया,  जब9क  भारत  न
                                                ै
                                  ु
                                                                                         े
                                                                        े
                                                                                      7
                                                                                                          े
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               +क ृ %त  क  मानवीय  सारत?व  को  समझने  और        +क ृ %त  क  बाहर!  dप'  म  दव?व  को  मौजूद  दखते
                                                           ै
                                                                                                    े
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               उससे अपना Kर`ता बनाने क> ज़dरत से उपजी ह।         हए मनुMय क> आंतKरक +क ृ %त को उसक मुता5बक
                               7
               इस#लए भारत म यह Pवचार सामने आया 9क जो            पKरMक ृ त  करने  का  +यास  9कया।  नतीजतन
                                                                                      े
                                                                                                        े
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                                    7
               क ु छ भी पूर ‹¾मांड म बाहर! +क ृ %त क> तरह ह,    पि`चम बाहर! +क ृ %त क dपांतर और उसक #लए
                                                                                                       े
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               वह! मनुMय क £दय क भीतर मानवीय सार  क             ज़dर!    बाहर!  +क ृ %त  पर  Pवजय  पाने  क  #लए
                                                                                                   ै
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                                   ै
               dप म मौजूद रहता ह।                               अUधक  +यासरत  1दखाई  दता  ह।  जब9क
                                                                                                        े
                                                                                7
                                                                तुलना?मक dप म भारत और अSय पूव” दश' म
                                                                                                             7
               तथाPप +क ृ %त को पूVय मानने से यह Áम पैदा हो
                                                                आंतKरक  +क ृ %त  को  बदलने  और  वहां  मौजूद
                       ै
                                               े
               सकता ह 9क +क ृ %त का मनुMय क |वारा dपांतर
                                                                                                े
                                                                        े
                                                                मनुMय  क  सार  को  उ|घा1टत  करक  अपने  भीतर
                                    े
               संभव  नह!ं।  +क ृ %त  क  अनुसार  जीवन  जीते  हए   क>  मूल  +क ृ %त  तक  पहचने  का  +यास  अUधक
                                                           ु
                                                                                        ं
               मनुMय अपने आंतKरक  वभाव या अपनी आंतKरक                                  ु
                                                                               े
                                                                                   ै
                                                                नुमाया 1दखाई दता ह।
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               +क ृ %त को जान और समझ सकता ह, ऐसा सोचते
                                                                                                  7
                                                                                                           े
               हए  मनुMय  समाज  +क ृ %त  को  अपना  आदश   बना    यहां एक और बात जो %नMकष  dप म 1दखाई दती
                ु
                                                                                                     े
                                                                                                             े
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               लेता  ह  और  +क ृ %त  का  dपांतर  करन  का  +यास   ह वह यह ह 9क +क ृ %त और मनुMय क बीच क
                                                                                 े
                                                                       7
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               नह!ं  करता।  भारत  म  +क ृ %त  क  संबंध  म  जो   Kर`ते म मनुMय दह सवा Uधक मह?वपूण  कड़ी क>
                                                                      े
                                                                                                      ै
                                                   े
               Pवचार उ?पSन हए उSह'ने +क ृ %त को दवी बनाकर       तरह रखां9कत होने वाल! व तु बन जाती ह।
                              ु
                                                                                   े
                                                                                                    े
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               अपने  #लए  आदश   बना  #लया  और  +क ृ %त  क       य1द  हम  पि`चम  क  Pवचार  Uचंतन  क  dप'  स
                                                            े
                                                                                     े
               dपांतर  क>  बजाए  भारतीय  मेधा  आंतKरक  +क ृ %त   %नकलने वाले डाPव न क Pवकास $म को दखते हg
                                                                                                       े
                                                                                      7
                                                                                 7
               क  dपांतर  क>  9फ$  करने  क>  ओर  अUधक  चल!      तो वहां जो चीज़ क\ म ह, वह  सभी +ाLणय' क>
                 े
                                                                                        ै
                                                                        ै
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                                                                 े
               गये। इसका अथ  यह ह 9क बाहर! +क ृ %त म भारत       दह  ह!  ह,  िजस  क>  आLखर!  कड़ी  मनुMय  क>  दह
                                                                 ै
                                                                                         े
               को आदश  अवि थत  मालूम हआ, जब9क आंतKरक            ह।  और  य1द  हम  भारत क  योग,  तं6  और  अSय
                                           ु
                                                                        े
                                                                                                  g
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               +क ृ %त  म  स¼यता  क>  दखल  को  उसने  Pवक ृ %तय'   दश न' क सार को समझना चाहते ह तो वहां भी
               क> तरह मौजूद होते हए पाया। इस#लए मनुMय को        दह क भीतर ह! पूर ‹¾मांड को सार dप म दखन
                                                                 े
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                                                                                                             े
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                                   ु
               +क ृ %त थ  करने  क  #लए  यह  जdर!  समझा  गया     और मूल +क ृ %त क वहां रह य क> तरह %छपे होन
                                                                                                             े
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                                                                                े
               9क मनुMय क> आंतKरक +क ृ %त क> Pवक ृ %तय' का   क> बात सामने आती है। इन दोन' Pवचारधाराओं
               शोधन 9कया जाए और इस +कार मूल +क ृ %त म           म अंतर भी ह। पि`चम क Uचंतन म बाहर! +क ृ %त
                                                                                                 7
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                                                                                       े
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                                                                                                         े
               वापसी  क>  जाए।  इस#लये  स?य  क>  खोज  करन       म  होने  वाले  dपांतर,  मनुMय  तक  क  दहगत
                                                                                                     े
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               वाले  लोग  हमार  यहां  घरबार  छोड़  कर  बनवासी    Pवकास$म क #लए िजJमवार ह। वहां यह Pवचार
                              े
                                                                                        े
                                                                             ै
                                            े
               होने को अपना आदश  मानते रह हg।                   सामने आता ह 9क य1द +क ृ %त को अपने अनुक ू ल
                                                                                                 े
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               +क ृ %त क साथ मनुMय क Kर`तो क उपयु &त दोन'       कर  #लया  जाए  तो  मनुMय  क>  दह  म  मौजूद
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               dप' पर गहराई से Pवचार करते हए हम यह दख           संभावनाएं  Pवक#सत  और  +कट  होने  लगती  ह।
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               सकते  हg  9क  पि`चम  न  मनुMय  क>  आंतKरक        भारत म इसक उलट यह Pवचार सामने आता ह
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               मई – जुलाई                             48                                                                   लोक ह ता र
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