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P. 50

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                                       7
               इSह  भारतीय  Uचंतन  म  मनुMय  क>  Uच?तगत         ऊपर  हमने  मनुMय  और  +क ृ %त  क  बीच  क  एक
                                                                                                े
                   7
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                                                                     े
                                          ै
               Pवक ृ %त का नाम 1दया गया ह। 1हंसा, लोभ, अहकार,   तीसर  संबंध  dप  क>  चचा   भी  क>  थी।  इसे  हम
               ईMया , |वेष आ1द +वृि?तय' को भारतीय Uचंतन म       भारतीय Uचंतन धाराओं म +क ृ %त और पुkष, अथवा
                                                                                       7
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                                                                                           े
                                                                                                  7
               मानवUच?त  क  Pवकार'  क>  तरह  दखा  गया  ह।       पदाथ  और चेतना क जोड़' क dप म मौजूद पाते
                                                 े
                            े
                                                           ै
                                                                                  े
                                                                                    े
               मनुMय क> मूल +क ृ %त तभी सामने आती ह, जब         हg। #शव और शि&त क dप म  पुkष और +क ृ %त
                                                                                            7
                                                        ै
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                                                                                                      7
               इन  Pवक ृ %तय'  स  मनुMय  अपने  आप  को  अलहदा    का  यह  जोड़ा,  भारतीय  Uचंतन  परपरा  म,  #मथक
                               े
                                                                                                 े
                         ै
                                                                                                      ै
               कर पाता ह।                                       आ{यान' क> तरह अ&सर 1दखाई दता ह। बाहर!
                                                                                     े
                           े
               इस  तरह  दखा  जाए  तो  पि`चमी  Uचंतन  और         +क ृ %त  क>  ओर  से  दखा  जाए  तो  बात  उसक>
                                                                                          ं
                                                                                       ै
               भारतीय  Uचंतन  म  सतह!  dप  म  दूर!    अव`य      सामlय  और शि&त क> ह, परतु य1द हम आंतKरक
                                7
                                               7
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                                                                                     े
                                                                                   े
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                            ै
               1दखाई दती ह, परतु गहराई म इन दोन' +कार क>        +क ृ %त क> %नगाह स दखते हg तो बात चेतना क
                                                                                      ै
                                                           ै
               Uचंतन पW%तय' क> मंिज़ल एक ह! +तीत होती ह।         #शव?व  क>  हो  जाती  ह।  इस  तरह  दो  तरह  क>
                                                                                                             ं
               वह  मंिजल  ह  9क  कसे  मानव  समाज  को  उसक>      पर पर  Pवरोधी  मालूम  पढ़ने  वाल!  Pवचारधाराए
                            ै
                                  ै
                                                                                                           े
                                                                        े
                                                                                           े
                                                े
               मूल  +क ृ %त  को,या  बाहर!  +क ृ %त  क   व थ  और   एक दूसर से संबंUधत होने क माग  पर चल दती
                                                                                      े
                                                                                                7
                                                          ै
               नैसUग क Pवकास को उपलhध 9कया जा सकता ह।           हg। इस #शव शि&त वाल #मथक म  पMट 1दखाई
                                                                 े
                                                                दता ह 9क गहराई म यह पर पर पूरक होन क>
                                                                      ै
                                                                                    7
                                                                                                         े
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                                             े
               +क ृ %त  म  मानवीय  त?व'  को  दखना  य1द  आदश
                                                                                7
                                                                        ै
                                                                ि थ%त ह। इस म #शव ह! अUधक मह?वपूण  नह!ं
                                                 ै
               Pवचारधारा का +क ृ %त पर आरोपण ह, तो यह तो
                                                                ह,  +क ृ %त  भी  अनेक   थल'  पर  अपनी  ऐसी
                                                                 ै
                                    ै
               माना  ह!  जा  सकता  ह  9क  +क ृ %त  भी  गहराई  म
                                                            7
                                                                अ#भDयि&त करती 1दखाई दती ह जहां हम #शवा
                                                                                              ै
                                                                                          े
               जीवन  को  जSम  दने  वाल!  संरचनाओं  क>  ओर
                                  े
                                                                          े
                                                                को #शव क व  थल पर अपने पैर रखकर नाचते
               अंतPव कास  करती  ह।  य1द  हम  +क ृ %त  क  इस
                                  ै
                                                       े
                                                                                                  े
                                                                      े
                                                                 ु
                                                                हए  दखते  हg।  इस  +कार  दोन'  क  बीच  +ेम,
               जीवनमूnक प  को क\ म ला सक तो भारतीय
                                                े
                                    7
                                         7
                                                                पर परता  और  पूरक  अंतPव रोध  को  संतु#लत  और
                                   े
               और पि`चमी दश न' क बीच क> दूर! को बहत हद          संबंUधत बनाए रखने क> चेतना क\ म आ जाती
                                                       ु
                                                                                                    7
                                                                                               7
                                         ै
               तक कम 9कया जा सकता ह।
                                                                 ै
                                                                ह।
                                                       g
                                            े
                 े
               दह मूलक  िMटकोण दो तरह क हो सकते ह, परतु
                                                           ं
                                                                                                 7
                                                                                       े
                                                                इस  Pवचारधारा  को  हमार  समय  म  और  अUधक
                                 े
               जीवन  को  लेकर  य  दोन'   िMटकोण  एक  धरातल
                                                                Pवक#सत  करने  तथा  +ासंUगक  बनाने  क>  ज़dरत
                                      े
               पर  आकर  एक  दूसर  क  पूरक  होने  लगते  हg।
                                   े
                                                                 ै
                                                                ह।  अब  +क ृ %त  क  दोहन  शोषण  क  पKरणाम
                                                                                  े
                                                                                                   े
                              े
                                        े
               बाहर!  +क ृ %त  क  भीतर  स  जीवन  जSम  लेता  ह
                                                            ै
                                                                 वdप, उसक गभ  से +कट होने वाल! Pवक ृ %त क
                                                                           े
                                                                                                             े
                                    ै
               और  Pवकास  करता  ह,  तो  दूसर!  तरफ  आंतKरक
                                                                तांडव को हम अपनी आंख' क सामने +कट होता
                                                                                           े
                       े
                                                            े
               +क ृ %त क भीतर जीवन क वे dप होते हg जो उस
                                      े
                                                                      े
                                                                 े
                                                                दख रह हg।
               बाहर!  +क ृ %त  क  साथ  तालमेल  रखने  और  उसक
                              े
                                                            े
                                                                      7
                                                                                                        े
               साथ एक पूरक क> तरह जीवन जीने क> ओर ल             ऐसे म +क ृ %त और मनुMय क> आपसदार! क #लए
                                                            े
                                                                   7
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                                                                हम  नई  तरह  क  अथ तं6  और  नई  तरह  क>
               जाते हg।
               मई – जुलाई                             50                                                                   लोक ह ता र
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