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म नह!ं रग पाया? सोचते हए 9फर वह यथाथ म इतने ढर सार +~' क बीच क ु छ +~ %नd?तर रह
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लौट आता ह, ह! जाते हg।
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‘‘लो भई, अब होल! भी गुजर गई...’’ 1दल!प यह तय नह!ं कर पाया 9क कसैलापन
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उसक मुह म ह या चाय का वाद ह! कसैला ह।
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9फर सोचन लगता ह, ‘‘अब जnद! ह! कोई ?योहार
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नह!ं आन वाला... गणगोर? वह तो उधर अपन साथ ह! चाय का रग भी।
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राज थान का ह! ?यौहार ह... यू भी अभी इस रग का तो कोई Uच¾न उसक हाथ, पांव, नाक-कान
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?यौहार पर बाजार का साया नह!ं पड़ा। तीज? हां, कह!ं भी नह!ं ह, िजससे यह +माLणत हो 9क उसन
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वह तो कह!ं जा कर सावन क मह!ने म आती ह। होल! का ?योहार अभी हाल ह! म मनाया ह।
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इस बीच चार-पांच माह तक ?योहार' से पूण तया उसक> बीवी ने तो यू भी रग को कभी छ ु आ ह!
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राहत!’’ अपनी जेब टटोलते हए उसने सोचा। नह!ं ह। अब तो उसक> रग' म बहते र&त क>
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सोच का चरखा चलने लगा तो चलता ह! गया... लाल! भी जवाब दती जा रह! ह। आँख' क Uगद
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ये ?यौहार हमारा सारा बजट 5बगाड़ कर रख दते %घर याह वृत और गाल व नाक पर पड़ी झाईयां
हg। एक तो हर बार ‘टालू’ बजट, दूसरा बेतहाशा गवाह हg इस बात क>। डा&टर का कहना ह
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बढ़ती महगाई और बेलगाम मु\ा ि फ%त। %तस पर एच.बी. कम ह, हर! सिhजय' और फल का सवन
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समयानुक ू ल चलने और सामािजक दा%य?व' का कर।
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%नव हन। जल पर नमक बुरकते टल!Pवजनी सhजी और फल का ठला जैस उसक सामने आ
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Pव_ापन। ऐसे म उस जैसा &लास Åी कम चार! खड़ा हआ हो। सhजी वाला ढाबे वाल छोकर क>
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और सोच भी &या सकता ह..? तज पर फटाफट सार! चीज' क रट बताने लगा।
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नोटबुक एक ओर रख कर सोच क समSदर म रट हाथ से छ ू ट चुक गैस वाले गुhबार ह' जैसे।
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ऊभचूभ हो रहा वह एक पKरUचत वर सुनकर धीर-धीर सhजी वाले ठले पर पड़ी हर व तु +`न
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Uचहका। Uच¾न म बदल जाती ह।
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‘‘चाय...?’’ बिnक अ&सर उसक सJमुख तो उसक
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फोिnडंग पलंग पर त9कया द!वार स 1टकाए बैठ बfचे ह! +`न Uच¾न बने रहते हg। ऐसा &य' होता
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उसने प?नी क> ओर दखा। प?नी एक Pवनती, एक ह?
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+~ बनी खड़ी थी। वह अ&सर सवाल ह! तो करती ‘‘कई बार इंसान अपने सं कार' क चलते या कस
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ह। नमक #मच ख?म... कब लाय7ग? घी कब लाना भी, क ु छ ऐसे आदश पाल लेता ह 9क बाद म
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ह? गैस का &या करना ह...? चाय पीयोग...? उनक चलते काफ> मुि`कल पेश आती ह।’’ एक
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‘‘सुनते हो...?’’ यह तो 1दन म कई-कई बार पूछा 1दन गुरPवंदर कह रहा था।
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जाता ह 9क अब भी सुनने क> शि&त शेष ह या गुरPवंदर भी उसक साथ ह! सरyलस सैल से यहां
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इतने सवाल सुन-सुन कर कान जवाब द गए ह? आया ह। था%य?व वे यहां भी अनुभव नह!ं कर
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पा रह थे। अ&सर अफवाह उड़ा करती, सरकार
मई – जुलाई 53 लोक ह ता र