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P. 53

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                                                                       े
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                                                                                   े
               म नह!ं रग पाया? सोचते हए 9फर वह यथाथ  म          इतने ढर सार +~' क बीच क ु छ +~ %नd?तर रह
                                         ु
               लौट आता ह,                                       ह! जाते हg।
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               ‘‘लो भई, अब होल! भी गुजर गई...’’                 1दल!प  यह  तय  नह!ं  कर  पाया  9क  कसैलापन
                                                                              ै
                                                                            7
                                                                        ं
                                                                उसक मुह म ह या चाय का  वाद ह! कसैला ह।
                                                                    े
                                                                                                            ै
               9फर सोचन लगता ह, ‘‘अब जnद! ह! कोई ?योहार
                                  ै
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                                                                                 ं
                                                            े
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               नह!ं  आन  वाला...  गणगोर?  वह  तो  उधर  अपन      साथ ह! चाय का रग भी।
                                                                 ं
               राज थान  का  ह!  ?यौहार  ह...  यू  भी  अभी  इस   रग का तो कोई Uच¾न उसक हाथ, पांव, नाक-कान
                                         ै
                                              ं
                                                                                         े
               ?यौहार पर बाजार का साया नह!ं पड़ा। तीज? हां,      कह!ं भी नह!ं ह, िजससे यह +माLणत हो 9क उसन
                                                                                                             े
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               वह तो कह!ं जा कर सावन क मह!ने म आती ह।           होल! का ?योहार अभी हाल ह! म मनाया ह।
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                                                                                                      ै
                                                           ै
               इस  बीच  चार-पांच  माह  तक  ?योहार'  से  पूण तया   उसक>  बीवी  ने  तो  यू  भी  रग  को  कभी  छ ु आ  ह!
                                                                                          ं
                                                                                    ं
               राहत!’’ अपनी जेब टटोलते हए उसने सोचा।            नह!ं  ह।  अब  तो  उसक>  रग'  म  बहते  र&त  क>
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                                                                      ै
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               सोच का चरखा चलने लगा तो चलता ह! गया...           लाल!  भी  जवाब  दती  जा  रह!  ह।  आँख'  क  Uगद
                                                           े
                                                                   े
               ये ?यौहार हमारा सारा बजट 5बगाड़ कर रख दते         %घर  याह वृत और गाल व नाक पर पड़ी झाईयां
               हg।  एक  तो  हर  बार  ‘टालू’  बजट,  दूसरा  बेतहाशा   गवाह  हg  इस  बात  क>।  डा&टर  का  कहना  ह
                                                                                                             ै
                        ं
               बढ़ती महगाई और बेलगाम मु\ा ि फ%त। %तस पर          एच.बी. कम ह, हर! सिhजय' और फल का सवन
                                                                                                          े
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               समयानुक ू ल  चलने  और  सामािजक  दा%य?व'  का      कर।
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                                                    े
               %नव हन।  जल  पर  नमक  बुरकते  टल!Pवजनी           सhजी  और  फल  का  ठला  जैस  उसक  सामने  आ
                                                                                     े
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                                                                                            े
               Pव_ापन।  ऐसे  म  उस  जैसा  &लास  Åी  कम चार!     खड़ा  हआ  हो।  सhजी  वाला  ढाबे  वाल  छोकर  क>
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                                                                                                         े
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               और सोच भी &या सकता ह..?                          तज  पर फटाफट सार! चीज' क रट बताने लगा।
                                        ै
                                                                                             े
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               नोटबुक  एक  ओर  रख  कर  सोच  क  समSदर  म         रट  हाथ  से  छ ू ट  चुक  गैस  वाले  गुhबार  ह'  जैसे।
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                                                                                                    े
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                                                                   े
               ऊभचूभ  हो  रहा  वह  एक  पKरUचत   वर  सुनकर       धीर-धीर सhजी वाले ठले पर पड़ी हर व तु +`न
                                                                       े
               Uचहका।                                           Uच¾न म बदल जाती ह।
                                                                                     ै
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                ‘‘चाय...?’’                                            बिnक  अ&सर  उसक  सJमुख  तो  उसक
                                                                                                             े
                                                                                          े
               फोिnडंग  पलंग  पर  त9कया  द!वार  स  1टकाए  बैठ   बfचे ह! +`न Uच¾न बने रहते हg। ऐसा &य' होता
                                                 े
                                                            े
                                                                 ै
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               उसने प?नी क> ओर दखा। प?नी एक Pवनती, एक           ह?
                                                                                                             े
                                                                                                           ै
               +~ बनी खड़ी थी। वह अ&सर सवाल ह! तो करती           ‘‘कई बार इंसान अपने सं कार' क चलते या कस
                                                                                               े
                                                                                                 ै
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               ह। नमक #मच  ख?म... कब लाय7ग? घी कब लाना          भी,  क ु छ  ऐसे  आदश   पाल  लेता  ह  9क  बाद  म
                                      ै
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               ह? गैस का &या करना ह...? चाय पीयोग...?           उनक  चलते  काफ>  मुि`कल  पेश  आती  ह।’’  एक
                                                                                                      ै
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                ‘‘सुनते हो...?’’ यह तो 1दन म कई-कई बार पूछा     1दन गुरPवंदर कह रहा था।
                                                         ै
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               जाता ह 9क अब भी सुनने क> शि&त शेष ह या           गुरPवंदर भी उसक साथ ह! सरyलस सैल से यहां
                                                         g
               इतने सवाल सुन-सुन कर कान जवाब द गए ह?            आया  ह।   था%य?व  वे  यहां  भी  अनुभव  नह!ं  कर
                                                                       ै
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                                                                पा  रह  थे।  अ&सर  अफवाह  उड़ा  करती,  सरकार
               मई – जुलाई                             53                                                                   लोक ह ता र
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