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लाटर! पर बैन लगाने वाल! ह। लाटर! Pवभाग बंद उस समय पु#लस |वारा मजदूर' को घेर
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कर 1दया जाएगा। और उनक> छटनी तय ह। कर मारने का `य उसक> िMट क सामन घूम
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इस बार होल! गुरPवंदर क गांव म भी नह!ं मनाई गया। 9फर अपन गांव क 9कसान' पर बरस रह!
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गई थी। Pवगत सyताह उसका बड़ा भाई हाईकोट ला1ठय' क> कnपना करक वह कांप गया।
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मे पेशी भुगतन आया था। उससे कोट म #मलन व सूख रह! फसल' और yयास से दम तोड़ते
लोग भी गए थे। मवे#शय' क #लए पानी मांगने पर उसक और
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1दल!प से बोला, ‘‘&या सोच रह हो बागड़ी भाई? आसपास क गांव' क 9कसान' पर हई ड2ड' क>
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तुJहार! काटो(Uगलहर!) तो अब फ ू ल' पर खेल रह! वषा ... समाचार प6 म कसी हई मु1टठय' से नारा
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ह?’’ बुलंद करन वाल हाथ' क> +का#शत त वीर, बचाव
क> मु\ा म एक दूसर पर Uगरते-पड़ते अSनदाता
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1दल!प झप गया था। इतना Uचंतन-शील नजर
क> भयभीत आंख... 9कसी क> पगड़ी पांव' तल
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आता ह &या वह?
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क ु चल! जा रह! ह तो 9कसी क> कमर म बंधा
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झप छ ु पाते हए वह बोला था, ‘‘काह क फ ू ल भा’जी चादरा खुल कर...!
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और कसी काटो? हर व&त सीने पर छटनी क>
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तब उसने फौरन अखबार छ ु पा #लया था,
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तलवार लटकती रहती ह।’’ अनायास ह! उसक मुह
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कह!ं बfचे न दख ल। ऐस-ऐसे `य' से उ?पSन
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से सच %नकल गया था। हालां9क वह ‘हो रह! ह
‘सहम’ शी¥ मि तMक से %नकल नह!ं पाता। बfच'
बसर’ कह कर भी काम चला सकता था।
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क #लए तो यू भी हर मूछ' और पगड़ी वाला बुजुग
चाय पीने क #लए कट!न क> ओर जाते हए दादा जी ह! ह। टल!Pवजन पर ऐसा कोई पा6
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सुखPवंदर फ ू ट पड़ा था, ‘‘हमारा तो पूरा गांव ह! 1दखाई द जाता ह तो ये खुशी स चीख उठते ह,
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उजड़ने वाला ह भाई... सरकार न जमीन एकवायर ‘वो रह दादा जी!’ ...और याद आ जाते हg छ ु 1¹य'
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कर ल!... ये बहराM!य कप%नयां हम खा जाएंगी... क दौरान खेत म खाए मूल!, ग'गलू, ककड़ी,
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गांव क गांव %नगल जाएंगी... कज म तो पहल ह! मतीर...! ह भगवान! हमार! जमीन %छन
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डूबे हए हg।’’ जाएंगी? घर भी? सोच कर मुझे ठ2डा पसीना
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और बgच पर बैठते ह! उसने 1दल!प से क ु छ अfछा आने लगता ह।
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सुनने क #लए उसक चेहर पर अपनी नजर गाड़ और बfचे? बfच' ने उस 1दन ट!वी पर ह!
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द! थीं। तो दखे थे, एक पाक म मजदूर' को घेर कर
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गुरPवंदर से उसे पहले ह! _ात हो चुका था पर पु#लस |वारा बेरहमी से पीट जाने क `य... बfचे
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अब उसे क ु छ भी नह!ं सूझ रहा था 9क कह तो कई 1दन तक सहमे रह थे।
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&या कह। समाजवाद, माकसवाद क बार म बड़े- इससे पहले 9क भा’जी दोबारा पूछ 9क
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बड़े Dया{यान दने का च'चला गोिMठय' और &या सोच रह हो, 1दल!प ने अपना zयान कट!न
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सै#मनार' म ह! संभव था शायद। सोचा उसने। म एफ.एम. पर बज रह गीत क> ओर मोड़ा-
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मई – जुलाई 54 लोक ह ता र