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                       भीतर  क>  पीड़ा  मातृ  भाषा  क  शhद'  म   बरसाए  जा  रह  थyपड़  और  ड2ड'  क   `य  बfची
                                                     ै
               उतर आई, पर बfची &या जाने काळ? कसा होता           को याद थे। ऐस अSय कई  `य' का खौफ शायद
                                                                               े
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               ह? कसे पड़ता ह? यू चाह यहां उसने अ#भवादन          खुद उसक अचेत म भी घर कर चुका था। अSयथा
                                                                                 7
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               क  दो  ल“ज  ‘सासर!  काल’  भी  सीख  #लए  थे।      बfची को यू बहलाना सरल न होता।
                                    े
               ले9कन  इन  शhद'  क  अथw  से  भी  9फलहाल                 वह  घर  जा  कर  शायद  कोई  सवाल  पूछ।
                                                                                                            े
               अन#भ_ थी।                                        इस  संदह  क  9कटाणू  1दल!प  क  मि तMक  म
                                                                        े
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                       उसक>  िजद  अंगद  का  पांव  हो  चल!  थी,   क ु लबुला रह थे। बfचे घर पर तो डी.सी. क बार म
                                        ै
               ‘‘नह!ं पापा, मुझे तो लेना ह।’’                   भी +`न पूछ लेते हg। वह तो महज एक #सपाह!
                                                                               ै
                                      े
                       ‘‘नह!ं  बेट ू ,  अfछ  बfचे  िजद  नह!ं  करते।   था। हो सकता ह, होमगाड  ह! हो, दूर से कौन पता
                                                                                     ं
                                                                           ै
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               यह Lखलौना गंदा ह। अfछ बfचे गंद Lखलौने स          चल  पाता  ह।  खाक>  रग क>  वद™  ह!  इSसान  को
                                                                               ै
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               नह!ं  खेलते!’’  1दल!प  1हंद!  भाषा  पर  उतर  आया   #सपाह! बनाती ह। दहशत तो सार! वद™ क रग ह!
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               था।  गैर  भाषा  म  झूठ  बोलना  शायद  उसे  सरल    म ह।
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               लगा था।                                                 खुद को इस#लए वह +?यु?तर दने क #लए
                                                                                                    े
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                       ‘‘बfचे  9फर  कसे  Lखलौन'  से  खेलते  ह?’’   तैयार करने लगा। ले9कन घर पहच कर वे #सपाह!
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               यह +`न बfची कर सकती थी पर इसस पूव  9क            वाल! बात भूल गए। बाजार म घूमने और लोकल
                                                                      7
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               ‘अfछ’  और  ‘बुर’  का  अंतर   पMट  हो,  उस  पर    बस' म लगने वाल ध&क' से वे इतना थक गए थे
               Lखलौना +ाyत करने क> लालसा हावी हो चुक> थी।       9क 5ब तर पर पड़ते ह! %न\ाल!न हो गए।
                                                                                                  ै
               उसक> िजद बरकरार। रोने लगी, ‘‘इतना खूबसूरत               1दल!प  अभी  भी  जाग  रहा  ह।  आज  का
                                                                             7
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               Lखलौना गंदा कसे हो सकता ह?’’                     खचा  डायर! म नोट 9कया और 9फर द!घ  %न`वास
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                       आLखरकार  अं%तम  श 6 क  dप  म उसन         ले कर बोला, ‘‘लो भई, होल! भी गई!’’ 9फर सोने
                                                            े
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               पा9कग  क  कोने  म  अलसाए  से  खड़े  पु#लस  वाल    का य?न करने लगा पर नींद ह 9क...
                                 7
                   Ç
                                                            े
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                           े
               क> ओर संकत करते हए कहा, ‘‘ऐसी िजद करन                   सोचने लगा, काश! सुबह जब उठ ूं तो सब
                                                            े
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               वाले बfच' को बट ू, #सपाह! बहत मारते हg।’’        क ु छ बदला हआ #मले। आLखर कKर`मे कहां नह!ं
                              े
                                                                            ु
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                       बfची  मन  मसोस  कर  रह  गई।  वह  नह!ं    होते? Kरलायंस ‘श क 9‘ज भी क ु Jलाई मूल! क>
                                                                                                   े
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               जानती  थी 9क  #सपाह!  का  उसने  &या 5बगाड़ा  ह    नपुसकता  दूर  नह!ं  कर  पाते  जब9क  ठल'  पर  भी
               और  वह  उस  &य'  मारगा? पर  1दल!प  जानता  ह      ताजा  दम  फल-सिhजयां...  सब  करामात  क ु दरत
                           े
                                                            ै
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               9क %नŒ मzय वग”य मि तMक' म कस-कसे ड2ड'            क>...!
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               का डर बसा हआ ह।                                         ओह!  मg  मूल!,  ग'गलू,  काचर-मतीर  स
                                ै
                                                                                                             े
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                       सोच कर उसे तसnल! हई 9क टल!Pवजन           आगे  सोच  &य'  नह!ं  पाता?  कोई  5बग  सोच...
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                                                                        े
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               पर  उस  1दन  1दखाए  गए पाक  म  घूम  रह  +ेमी-    दु%नया  क  सबस  Vयादा  अमीर  भारत  म...  सबस
                                              7
                                                       े

               +े#मका  और  Pववा1हत  जोड'  पर  पु#लस  |वारा      फा ट-–ोइंग इकोनमी मेरा भारत... Pव`व गुd...
               मई – जुलाई                             59                                                                   लोक ह ता र
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