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P. 49

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                                                   े
               9क य1द हम मनुMय क> दह और उसक भीतर क              Dयवहार dप' को हम अपने सामने चKरताथ  होता
                                                            े
                                                                 े
                                                                                                  ै
                                                                       7
                                                                                                            े
                                                                              ं
               Uच?त को ठtक स समझते और Pव`लेPषत करते ह           दख सकगे। परतु होता इसक उलट ह। मनुMय दह
                               े
                                                            g
                                                                                         े
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               तो  उनक  ज़Kरए  हम  +क ृ %त  क  %नJन  और  उfच     क>    मूल  +क ृ %त,  िजन  +वृि?तय'  क>  अ#भDयि&त
                                           े
                तर को जान सकते हg और इस तरह अपने भीतर           चाहती ह वे स¼यता और सं क ृ %त क स?ता Pवमश
                                                                        ै
                                                                                                े
                                                       े
                          े
               ह! +क ृ %त क %नJन dप' से उfचतर dप' क सार         और Dयव था क #लए खतरनाक मानी जाने लगती
                                                                              े
                                                                 ै
                                                                                           े
               को उपलhध करने  क> ओर + थान कर सकते हg।           ह।  इस  तरह  मनुMय  क>  दह  क>  +क ृ %त  और
                                                                        े
                                                                                         े
               पि`चम  म  िजस  +कार  +क ृ %त  पर  Pवजय  +ाyत     समाज क बीच एक तरह क Pवरोध को +कट होते
                         7
                                                                           ै
                                                                 े
               करते  हए  उसक  दोहन  शोषण  का  माग   %नकला       दखा जाता ह।
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               और +क ृ %त को मनुMय क #लए उपयोगी उ?पाद' म        िजस  +कार  मनुMय  दह  का  दमन  होता  ह,  उसी
                                                                                 े
               बदलने क> एक बड़ी होड़ शुd हो गई, उसी +कार          +कार  पृlवी  क>  दह  का दमन  भी, उसी  तरह  क>
               पि`चम  का  स¼यता  और  सं क ृ %त  Pवमश   भी       सोच क>  वभाPवक पKरण%त ह। यहां  यह Pवचार
                                                                                            ै
                                                                                 ै
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               मनुMय  दह  क  साथ  जुड़ी  उसक>  +क ृ %त  को  उसी   भी सामने आता ह 9क िजसे हम खेती-बाड़ी कहते
                          े
                                                                                                        े
                                                            े
               +कार अपन अनुक ू ल बनाने और Dयवि थत करक           हg वह दरअसल धरती क> उपजाऊ  मता क साथ
                                               े
                                                                                  ै
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                                                    ै
               उसे समाजोपयोगी बनाने पर जोर दता ह। फ ू को ने     छड़छाड़  अUधक  ह।  वह  +ाक ृ %तक  9क म  क>
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               मनुMय  दह  को  आधु%नक  और  उ?तर-आधु%नक           उव रता  क>  बजाए,  इस  उव रता  का  अUधक
                                                       े
               स?ता  Pवमश   क  उस  अ 6  क>  तरह  दखा  ह         उ?पादनमूलक शोषण ह। उव रता का दोहन शोषण
                                                                                     ै
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               िजसका  +योग  पु#लस,  Uच9क?सा  और  #श ण  स        भी गहराई म पृlवी क> दह का दमन और दोहन
                                                            े
                                                                                        े
                                                            े
               संबंUधत  सं थाएं  करती  ह  और  स¼यताकरण  क       ह।  यह!  ि थ%त  जंगल',  पहाड़',  समु\,  नद!,  ताल',
                                       ै
                                                                 ै
               नाम  पर  अंततः  दह  और  उसक>  मूल  +क ृ %त  का   हवा और समूचे पया वरण क> भी ह।
                                े
                                                                                               ै
                                 ै
               दमन 9कया करती ह।                                 िजस  तरह  क>  स¼यता  और  सं क ृ %त  का  Pवकास
                        े
                                                                                                             े
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                                                                                       ै
                                                            े
               मनुMय  दह  क  #लये    उसक>  अपनी  +क ृ %त  क     मानव  जा%त  ने  9कया  ह,  वहां  बाहर!  +क ृ %त  क
               मुता5बक  अ#भDयि&त  संभव  बनाने  लायक  हालात      दमन,  दोहन  और  शोषण  क>  बात  इस#लए
                                                                                         ै
                                                           ै
               अभी तक मानव समाज %न#म त नह!ं कर सका ह।           अ%नवाय ता मौजूद हो गई ह, &य'9क उसी क सहार
                                                                                                       े
                                                                                                             े
                                                                                         े
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               स¼यता  और  सं क ृ %त  क  Pवकास  क  दौरान  उnट    +क ृ %त क> अUधकाUधक उपादयता को हा#सल 9कया
                                        े
                                                                                   े
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               हआ  यह  ह  9क  धीर-धीर  मनुMय  क>  दह  का        जा  सकता  ह।  इसक  उलट  भारत  जैसे  दश'  म
                                                                            ै
                                                                                                             7
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                                                                                                         ै
               अUधकाUधक  अनुक ू लन,  Dयव थापन  और  अंततः        अभी भी यह Pवचार बार बार दोहराया जाता ह 9क
                                 ै
                                                                                          े
                                                            े
               दमन  9कया  गया  ह।  ‘ायड  ने  मनुMय  Uच?त  क     मनुMय  का    बाहर!  +क ृ %त  क  साथ  संबंध  मनुMय
                                               े
                                                                                    7
               भीतर मौजूद क ुं ठा को मनुMय क> दहगत +वृि?तय'     क> आंतKरक +क ृ %त म मौजूद +क ृ %तपूजा क भाव
                                                                                                        े
                                                                                                     7
               क दमन क> तरह दखा था। उनका यह मानना था            से जुड़ा हआ होना चा1हए, ता9क दोन' म तालमेल
                 े
                                 े
                                                                         ु
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               9क य1द मनुMय क> दह क> मूल +क ृ %त और उसस         हो सक। य1द मनुMय क> आंतKरक +क ृ %त म लोभ,
                                                                                                       7
               संबW +वृि?तय' को  व थ सामािजक अ#भDयि&त           मोह,  पKर–ह  आ1द  क>  +वृ%तयां  अUधक  होगी  तो
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               +दान  क>  जा  सक,  तो  एक  बेहतर  समाज  क        वह +क ृ %त क दोहन शोषण का कारक हो जाएगा।
               मई – जुलाई                             49                                                                   लोक ह ता र
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