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ि 6य' क> ठtक उस रग पर उगल! रख पाती ह सां+दा%यकता के उभार से लेकर बाज़ारवाद के
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जहां स दद फ ू टता ह। उनक यहां एक Pवराट 6ी +भाव तक क>, उ?तर आधु%नकता और
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गाथा ह जो पुरान शोषण और उपे ा क जान- े भूमंडल!करण क Pव तार स लेकर रोज़मरा क> उन
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पहचान मुहावर' स नह!ं बनी ह, जो लgUगक कहा%नय' तक क>, जो अख़बार' क> माफ त बनने
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समानता क> सूि&तयां गढ़न क मोह म नह!ं पड़ती, वाले सूचनाओं के समंदर म7 बुलबुले क> तरह उठती
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ले9कन िजसम अतीत क मम भेद! अकलेपन का और 9फर 5बला जाती हg- एक गहन चीरफाड़
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#सफ अपनी सामू1हकता स सामना कर रह! ि 6यां अनवरत देखी जा सकती है। अपनी 9कताब ‘ 6ी?व
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#मलती ह हालां9क व भी स¼यता क इस सफ़र म के मानUच6’ म7 अना#मका ने जो यह लय 9कया
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महसूस करती ह 9क, ‘हकासी-Pपयासी सड़क / चल है 9क दु%नया भर म7 6ी आंदोलन अके ला नह!ं
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रह! थी साथ मेर / एक आरभ अधबना सा / बीच चला है, कह!ं वह अ`वेत आंदोलन से जुड़ा है, कभी
म ह! ढह गया था। एक अथ फ ू ट गया था/ yयाऊ पया वरण क> लड़ाई से और कह!ं मानवाUधकार के
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क दूसर घड़े सा/ एकदम बीच रा ते।‘ एजडे स- यह स{य भाव इन कPवताओं म भी
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1दखता ह- यह एक समकाल!न गाथा ह िजस
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कहन क> ज़dरत नह!ं 9क यह कkणा क> कPवता
इ%तहास क> दूरबीन लेकर एक 6ी आंख दख रह!
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ह, उस रचना?मकता क> जो स¼यता क> कोख स
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ह और इस आंख म संवेदना और कkणा का जल
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फ ू टती ह। इस#लए इन कPवताओं म सूि&तयां नह!ं
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ह- उसक> हलचल ह।
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ह, मगर एक दाश %नक त?व ह- कह!ं छ ु पा हआ
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नह!ं, बेहद +?य और कह!ं-कह!ं इतना +गnभ 9क कई बार यह Pवराट 1हलती-डुलती `यमयता इतनी
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कPवता क बीच उसक> उपि थ%त खटकन तक चंचल हो जाती है 9क कPवता क> लय 5बखरती
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लग- या लग 9क इस दश न क #लए ह! यह कPवता मालूम होती है, कई बार घटनाओं, जगह' और
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#लखी जा रह! ह। काल' का एक-दूसर म अ%त$मण ऐसी असुPवधा
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पैदा करता ह, जैस लगता ह 9क हम सुDयवि थत,
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बहरहाल, 1हंद! म एक ख़तरा यह ह 9क जब भी
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सुरUचत कPवता नह!ं पढ़ रह, एक कव%य6ी क
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आप 9कसी कPवता क भीतर कोई 6ी गाथा दखते
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भीतर उमड़-घुमड़ रह बहत सार भाव' क बीच
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ह, उस फौरन 6ी Pवमश क> चालू शhदावल! म
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आवाजाह! कर रह हg। ले9कन यह!ं स यह समझ
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वीकार करन या ख़ाKरज करन का खेल शुd हो
भी बनती ह 9क दरअसल कोई बड़ी कPवता कई
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जाता ह। यह बात पMट ढग स कहनी होगी 9क
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बार अपन काDय?व और काDय-PवSयास म तोड़फोड़
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यह 6ी Pवमश नह!ं ह, यह समकाल!न Pवमश ह
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करक ह! संभव होती ह।
िजसम अपन समय क बाक> सवाल' क +%त भी
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एक स{य भाव ह। अना#मका क कPवता संसार म
मई – जुलाई 109 लोक ह ता र