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               एक  Lखलंदड़ापन  भी  इन  कPवताओं  म  लगातार  टॉn टाय,  चेखव,  रवीं\  और  +ेमचंद  सटे  हए  बैठे
                                                                                                       ु
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               #मलता  रहता  ह।  ‘अSना  कर%नना:  चैपमैन  हg। बड़े 1दल से #लखती है कव%य6ी – ‘घर के  सब
                                                            7
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               बह•े`यीय  कSया  Pव|यालय  क  पु तकालय  म’  कामकाज %नबटा कर / चल पु तकालय चल! आई/
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               कव%य6ी dस जान और dठ जान को #मलाती ह-  उन सब गृहLणय' के  जीवन का/ पहला और अं%तम
                                                            g
               याद करती हई 9क dसना 9$या दरअसल dठन क>  रोमांस / वह! थे।‘
                                                         े
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               भी  पया य  ह  और  बताती  ह  9क  ि 6यां  बार-बार
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                           ै
                                                                                                    ं
                                                                                          े
                                                                तो  सार!  दु%नया  को  दखती,  परपरा  और
                                                            े
               dस  जाती  हg।  और  इस  कSया  Pव|यालय  क
                                                                                           7
                                                                आधु%नकता  को  घोल  कर  फट  कर,  आती-जाती
                                    े
                                े
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               पु तकालय  म  बैठ-बैठ  क>  जा  रह!  इस  dस  क>
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                                                                                             े
                                                                स¼यताओं को खंगाल कर, अपन 1ह स क> कPवता
               +दœ णा म &या #मलता ह? य पंि&तयां बताती ह:
                                       ै
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                                                                गढ़ती  यह  कव%य6ी  दरअसल  एक  नए  जीवन  का
                                                           े
                         े
               ‘अSना कर%नना टहल रह! थी / वोnगा क 9कनार /
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                                                    े
                                                                              ै
                                                                संधान  करती  ह-  कPवता  छ ू ट  तो  छ ू ट  जाए,  यह
                                                                                           े
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               अपन बड़े गाऊन म। / मg उसस #लपट गई / एक
                                                                जीवन- िMट  न  छ ू ट,  यह  मा#म क  और  मानवीय
                                                                                  े
               पूर! िज़ंदगी / मg घूमती ह! रह! मॉ को क> ग#लय'
                                                                                                     ै
                                                                          े
                                                                खयाल जैस इस सं–ह क> क\!य धूर! ह। ‘टोकर!
                                                                                          7
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               म/ उसस ब%तयाती! / 9फर वÌत चलन का आया,/
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                                                                म  1दगंत’  %न`चय  ह!  हमार  समकाल!न  रचना
               चलते  समय  मgन  दखा-  बंद  ह!  नह!ं  हो  रहा  था
                                  े
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                                                                समय क> एक उजल! उपलिhध ह।
                                                                                             ै
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               मेरा सूटकस! / लगातार तब स तहा रह! ह कपड़े
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                                                       ू
                                                                          7
               और  मृ%तयां’।‘                                     (टोकर! म 1दगंत: अना#मका, राजमकल +काशन,
                                                                                                   300 kपए)
               अनुभव  और  अzययन  क>  यह  जो  संपदा  ह,  वह
                                                        ै
               रोज़मरा  क अनुभव' को भी, बड़े और सुदर +तीक'                                 समी	क - A यदश'न
                                                    ं
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               म  बदल  डालती  ह।  ‘चल  पु तकालय’  म  वेद                     लेखक, प6कार, समी क  आलोचक
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               क ु रआन क पड़ोस म %नि`चंत सोए #मलते ह और
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               मई – जुलाई                             110                                                                   लोक ह ता र
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