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P. 23

भोग



                                                                               ै
                       सांय-सांय करती दोपहर! क> तपन उ?तरो?तर बढ़ती जा रह! ह। आंगन म खड़े पेड़' क> परछाई
                                                                                          7
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               सहमी हई सी पेड़' म ह! दुबक> हई ह। घर म वह अकला ह – %नताSत अकला। सून घर म सSनाटा भूत
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               क> तरह डोल रहा ह। उसक> मां छोट भाई-बहन' का साथ लेकर मोहnल म ठकदार #शंगारा #संह क यहां
                                                                                                        े
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               अख2ड पाठ क भोग म गई हई ह। गम” क> छ ु 1टटय' क कारण कॉलेज बंद हg। अUधकांश दो त भी शहर
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               म नह!ं हg। छ ु 1टटयां 5बतान Kर`तेदार! म दूसर शहर' म गए हए हg। उसका न%नहाल इसी शहर म ह। हर
                                                                                                      7
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               साल खड़ी गम” म सजा अपन शहर म ह! काटनी पड़ती ह उसे। आंगन म धूल भर अंधड़ का झ'का
                                                                                             े
                                                                                                 े
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               बव2डर  बनकर  उतर  आया  ह।  मेन  गेट  खट  स  खुल  गया।  सूखे  धूसर  प?ते,  मैल-  जूठ  कागज  और
                                       े
                                                                                               े
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               अखबार क ट ु कड़े आंगन क बीच'-बीच बाल खोल भूतनी क> तरह नाचन लगे। सहमेपन स इस भूतनी का
                                                                               े
               नाचना दखता ह वह। नाच जब बंद हो जाता ह और बव2डर उड़ कर कह!ं ओर चला जाता ह तो मेन
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               गेट बंद  करन  क  #लए  उठना  चाहता ह पर  ऊब  और  आलस  क  कारण  उसका शर!र  साथ  नह!ं  दता।
                                                                                              े
               चारपाई पर ह! पसरा रहता ह। ऊब स उबरन क #लए एक बार 9फर स ए&सचज करक लाया उपSयास
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               उठा लेता ह।  िMट अचानक एक पृMठ पर 1ठठक जाती ह –
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               “चट  –  चट  –  चट...  उसक  hलाउज  क  बटन           पसSद करता ह। इस बार इनम स 9कसी लेखक
                                                                               ै
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               तड़तड़ा कर ट ू ट गए और उसक उरोज...” एक ह!            का नावल नह!ं #मला तो हरना कानपुर! का यह
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                                                                                          ु
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               सांस म वह पूरा पृMठ पढ़ जाता ह।                     नावल उठा लाया ह।
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               “और उसक उरोज...” य तीन शhद  उसक र&त                नावल म मद और औरत क िज मानी Kर`ते क>
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               म  सनसनी  सी  भर  दते  हg।  बाहर  चल  रह!  लू      खूब  खुल!  चचा   ह।  िजसक>  वजह  स  नावल
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                                                                                                      े
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               उसक र&त म बहन लगती ह।                              उसक  शर!र  म  अराजकता  पैदा  कर  रहा  ह।
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                                                                  नावल क कवरपेज पर एक अध नन अं–ेज मेम
               यह नावल वह सीसाभाऊ बाजार क> रलव लाइन
                                                 े
                                                     े
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                                                                  का रगीन Uच6 अं9कत ह। मेम क अध नन व
                                                                      ं
                                                                                                े
                                   े
                                                           े
               क>  ढाल  पर  बैठन  वाल  बnलू  कबाड़ी  स
                                        े
                                                                  hलाउज  क>  सीमा  रखा  का  अ%त$मण  कर
                                                                                      े
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                                    ै
                                                           े
               ए&सचज करक लाया ह। बnलू कबाड़ी चार आन
                            े
                                                                                          े
                                                                           े
                                                                                                  े
                                                                  hलाउज  स  बाहर  झांक  रह  हg।  इस  यह  9कताब
                                                    े
               लेकर  हर  तरह  क>  9कताब  बदल  दता  ह।
                                                          ै
                                                                                                े
                                                                  नह!ं लानी चा1हए थी। Pपताजी क हाथ पड़ गई
               सीसाभाऊ  बाजार  बुधवार,  शु$वार  ओर  रPववार
                                                                  तो चमड़ी उधड़ कर रख दगे। उSह तो यह भी
                                                                              े
                                                                                          7
                                                                                                  7
               को लगता ह। उस 1दन खूब भीड़ होती ह बnलू
                           ै
                                                     ै
                                                                  पता  नह!ं  9क  यह  कोस   क>  9कताब'  म  नावल
                                                                                                      7
               क>  फ ु टपाथ  पर  सजी  दुकान  पर।  वह  गुलशन
                                                                                                        े
                                                                  छ ु पा कर पढ़ता ह। वह तो उस और उसक सब
                                                                                              े
                                                                                  ै
                                             े
               नSदा,  क ु शवाहा  काSत,  yयारलाल  आवारा,
                                                                  भाई-बहन'  को  अपन  साथ  बैठा  कर  सुबह-शाम
                                                                                    े
                                          े
               आ1दल  रशीद,  सोमनाथ  अकला,  +ेम  वाजपेयी,
                                                                                                       7
                                                                                                         े
                                                                  गाय6ी मS6 का जाप करवाते हg। घर म रZडयो
                                       े
                              े
               गो5बंद #संह जैस लेखक' क नावल पढ़ना अUधक
                                                                      ै
                                                                  तो ह पर उस Pपताजी अपनी अलमार! म बSद
                                                                                                        7
                                                                              े
               मई – जुलाई                             23                                                                   लोक ह ता र
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