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म ऐसा नह!ं चहता ह। लेखन क #लए जंगल' म इं\+ थ भारती जो मुि`कल स ह! +का#शत हो
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घूमना ह! पड़ेगा। हमारा जो दश ह, वह एक कोन पाती थी, हमन उसको मा#सक 9कया। आज भी
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स दूसर कोन तक #सफ शहर नह!ं ह, यहां गांव लोग याद करते, कहते ह 9क आप &य' चल! गई,
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और जंगल ह! Vयादा ह। उनक> खबर अगर लेखक तो मg कहती ह 9क मgन तो एक र!त डाल द! ह,
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नह!ं लेगा तो कौन लेगा। आजकल क लेखक' क> अब आप उस पर चलते र1हए।
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पूछ रह! हो तो मg कभी-कभी उSह पढ़ लेती ह।
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अfछा ह #लख रह हg। कलम तो चल रह! ह।
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कyयूटर तो चल रहा ह। ले9कन मg 9फर कहगी 9क
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जdर! ह 9क लेखक' को इन गुमनाम कहा%नय' को
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इन लोग' क> बात को सबक सामन लाना होगा।
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बताना होगा 9क यह लोग भी हमार दश क
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नागKरक हg। वोट दते ह, संPवधान न इनको भी
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हक 1दया ह। अगर हम इनक बार म, य 9कन
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हालात' म ह, य नह!ं जानग, इनक दुख-दद को
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नह!ं समझग, नह!ं #लखग तो कौन #लखेगा और
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अगर #लखग नह!ं तो आप लोग' तक, पाठक' तक
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कस पहचग और जब पहचग नह!ं तो 9कसी भी
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सुधार क> उJमीद करना बेमानी ह।
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मीना ी : आप 2015-18 म 1हंद! अकादमी
1दnल! क> उपाzय रह!ं, इन तीन वषw का
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अनुभव कसा था?
पुर कार' क प पात क समथ न म भी मg कभी
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मै3यी : अनुभव अfछा था। उस समय जो नह!ं रह!। िजSह'न बेहतर काम 9कया और उपे त
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त?काल!न मु{यमं6ी थे, उSह'न कभी मेर! एक भी रह, यह तो कोई आदश ि थ%त नह!ं ह। अपन
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बात नह!ं काट!। मgन कई नए फसल भी #लए। कई #म6' और पKरUचत' को पुर कार बांटन क प म
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पुरान %नयम' को बदला ता9क हमार लेखको को मg कभी नह!ं रह! और आज भी नह!ं ह। अकादमी
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बेहतर आUथ क मदद #मल सक। उनक Dया{यान' स उन लोग' को पुर कार #मल तो उसक सह!
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का, उनक लेखक का उSह उUचत अनुदान #मल हकदार थे। तीन वषw क काय काल म मेर 9कसी
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सक। लोग गवाह ह 9क अकादमी क> प56का भी %नण य पर कोई उगल! नह!ं उठाई गई, कोई
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मई – जुलाई 19 लोक ह ता र