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P. 15

g
               हg जो #लखती ह, तो मेर! &लासमेट का जवाब था,       1द&कत भी होती ह और 9फर #सखाया यह जाता
                                                                                  ै
                                                                                                  ै
               हां-हां जानती ह। तब तो वह बहत आवारा थी।          ह 9क 1द&कत हो तो कहना भी नह!ं ह।
                                                                 ै
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                                                े
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                                  े
               बस यह! अनुभव रह, #लखा तब घेर गए, पढ़ रह   हमारे  यहां  मनु मृ%त  म7   6ी  के   #लए  जो  %नयम
               आंख का कांटा बने। 9फर घेर गए। साधन ह!न थे,       बनाए गए, तो Vयादातर उनको मानने का चलन
                                         े
               9फर भी आगे बढ़ते गए। तो बस यह! कॉलेज क            %नकल पड़ा। Pववाह म बराबर! क> तो बात थी, वह
                                                            े
                                                                                   7
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               और पढ़ने क अनुभव हg।                              कह!ं  गुम  हो  गई।  हमारा  संPवधान  भी  Pववाह  म
                                                                                                             7
                                                                                         ै
                                                                                     े
                                                                बराबर! का अUधकार दता ह। तो मेरा मानना यह
               मीना	ी  :  Pववाह  समाज  क>  एक   वीक ृ त  और
                                                                 ै
                                                                ह 9क Pववाह सं था भी बराबर! क अUधकार' का
                                                                                                े
                                     ै
               कानून सJमत सं था ह, जो पुkष- 6ी को समान
                                                                         े
                                                                पालन कर, तो भी Vयादा अfछा होगा और तभी
                         े
                                                           ै
                                                       े
               अUधकार द, घर गृह थी चलाने  अनुम%त दती ह।
                                                                                                े
                                                                             े
                                                                                 7
                                                                हम बराबर! स चलगे। एक आ_ा दगा और दूसरा
                                       े
               Pववाह   6ी-पुkष,  दोन'  क  अUधकार'  को  कानूनी
                                                                मानेगी।  यह  चलन  नह!ं  होना  चा1हए।  हां,  सलाह
                                े
               संर ण दता ह। ल9कन अगर मg आपक 9कसी भी
                                                   े
                            ै
                        े
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                                                                द! जा सकती ह। वैसे तो हमार धम  –ंथ' म कहा
                                                                                            े
                                                                              ै
               उपSयास  को  लू,  चाक,  इ•ननुम,  आपक>
                                 ं
                                                                      ै
                                                                                                      ै
                                                                गया  ह  9क  प?नी  मं6ी  क>  तरह  होती  ह,  सलाह
               आ?मकथा,  क तूर!,  उनम  ऐसा  लगता  ह  9क
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                                                        ै
                                                                दने  म  ले9कन  कई  बार  हमने  लोग'  को  अपनी
                                                                 े
                                                                      7
               Pववाह  6ी क पैर' क> वो बेड़ी ह जो न खड़ा होन
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                           े
                                                            े
                                                                ि 6य' को यह कहते भी सुना ह 9क तुम &या कर
                                                                                             ै
                     ै
                 े
               दती ह और न ह! बढ़ने। तो &या  6ी मुि&त का
                                                                               7
                                                                सकती हो, तुमम &या अ&ल ह, तुम चुप रहो। चुप
                                                                                           ै
                                               े
               रा ता  Pववाह  नाम  क>  सं था  क  खंडन  से  ह!
                                                                                             े
                                                                रहो गाग”, चुप रहो मै6यी। हमार यहां हमेशा ऐसा
                       ै
               सJभव ह?
                                                                                    ै
                                                                ऐसा ह! होता आया ह और ऐसा ह! कहा गया ह
                                                                                                             ै
                                       ै
               मै3यी  :  मेरा  मानना  ह  9क  Pववाह  म  समान     9क  चुप  रह।  पर  यह  चुप  रहो  वाल!  बात  चलती
                                                     7
                                                                                    े
                                                                      ै
               अUधकार क> बात होनी चा1हए। Pववाह सं था जो         नह!ं  ह,  9फर  वह  चाह  Pववाह  हो,  समाज  हो,  या
                            े
               भी  कहती  रह,  उसम  चाह  जो  भी  वचन  भरवाए      कोई  कहानी,  आ?मकथा  या  उपSयास।  सब  का
                                   7
                                       े
               जाएं। 9कसी भी वण  म, धम  म, समाज म, 1हंद!        बराबर! का दजा  होना ह! चा1हए। सभी को कहने
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               म, सं क ृ त या उदू  म, यह सार वचन एक दूसर        का  भी  बराबर  अUधकार  होना  चा1हए।  ले9कन  मg
                                             े
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                 7
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                                                                          ं
                                                                                               े
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               का साथ दने क #लए भरवाए या 1दलवाए जाते हg।        यह भी कहगी 9क इस अUधकार क साथ  वयं को
                             े
                         े
                                                                                                            ै
               अब होता &या ह 9क Pववाह म जो मजबूत होता           अनुशा#सत  रखने  क>  िजJमेदार!  भी  आती  ह।
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                               ै
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               ह, वह अपना पलड़ा भार! कर लेता ह। हमार यहां        &य'9क हम कहने का अUधकार ह तो हम बेवजह
                 ै
                                                        े
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               Kरवाज  यह  ह  9क  लड़क>  दूसर!  क  घर  जाती  ह।   ह!  क ु छ  भी  Uचnला  नह!ं  सकते।  एक  बात  और
                                                                                                ं
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                                                                                     ु
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               अब  दूसर  क  घर  म  थोड़ी  Lझझक  भी  होती  ह,     कह, मg इस बात क बहत Lखलाफ ह 9क कोई बात
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                                   7
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               मई – जुलाई                             15                                                                   लोक ह ता र
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