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और बस इस तरह से मर सभी उपSयास #लखे मीना ी : आपने बुदलखंड Pव`वPव|यालय स
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गए। मुझे नह!ं पता था 9क आप लोग पढ़ग, नातको?तर क> Zडी 9कस साल म ल!?
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5बलक ु ल नह!ं मालूम था 9क कोई पढ़गा इन
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मै3यी : अर, ये तो कोई भूलने वाल! बात नह!ं,
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उपSयास' को। मुझे याद ह जब मgन राज\ यादव
मgने एम.ए. 1964 म 9कया था। एम.ए. करने क
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जी को इSनुम क> कोई पांच सौ पSन' क>
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पांडु#लPप द! तो उSह'न मुझे कहा, मरा तो च`मा
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बदल जाएगा और तुJह ह! बदलवाना होगा।
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तुJहार घर म तो डॉ&टर ह। मgने &या-&या #लख
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1दया ह। बताइए 9क इसम क ु छ ह तो उSह'ने कहा
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9क इसम बहत क ु छ ह ले9कन तुJह मेहनत करनी
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पड़ेगी तो मgन इसक पीछ सात ाट कर डाल
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और वह पूरा बना, मुकJमल हआ या नह!ं ले9कन
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मgने छपने क #लए द 1दया और वह छप भी गया।
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बस इसी तरह मेर #लखन का #सल#सला चलता
रहा।
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मीना ी : पांच सौ पSन' क उपSयास क ाट
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छह-सात बार #लखना %न:संदह एक दुdह और
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चुनौती भरा काम ह। आपको कभी य उबाऊ या
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थकाने वाला नह!ं लगा? यह सब आप कस कर
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बीच ह! मेरा Pववाह हो गया था और मg अपन
मै3यी : तब मg हाथ से #लखती थी। मg अभी भी ससुराल चल! गई और तुJह बड़ी मजेदार बात
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टाइप बहत कम करती ह। अब भी क ु छ छोटा बताऊ, मुझे उस समय तो मेर प%त बड़े अfछ लग
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#लखना हो तो टाइप कर लेती ह, ले9कन अगर थे। मgने कहा, मg वापस नह!ं जाऊगी, मg मां क
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उपSयास #लखना ह तो हाथ स ह! #लखती ह घर नह!ं जाऊगी। तो य कहते थे 9क अपन
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&य'क मेर! कलम जो ह, वह मेर मन से जुड़ती ह इिJतहान तो द आओ, उसक बाद आ जाना। मुझे
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तो उसी से चलती ह। टाइPपंग म मुझे ऐसा जुड़ाव अपनी ससुराल म बड़ा अfछा लगा &य'9क जहां मg
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नह!ं हो पाता। लोग शायद ऐसा कर पाते ह, मg पढ़ती थी, वहां मेरा जीवन बड़ा बीहड़ था। जहां
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नह!ं कर पाती ह।
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मई – जुलाई 13 लोक ह ता र