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ऐसा वह मानते थे। 9फर वह कोई सा1ह?यकार तो करते थे, ले9कन मुझे 1दन म सोन क> आदत
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थे नह!ं, वह Uच9क?सा क े6 स जुड़े हए हg। वह कभी नह!ं रह!, अब भी कभी अगर झपक> ल लेती
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हमारा जो सांसाKरक वैवा1हक जीवन होता ह, वह! ह तो पता नह!ं, शर!र को थोड़ा आराम दकर मg
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जीना चाहते थे। अब #लखन क #लए तो घर स 9फर #लखन बैठ जाती थी। मgन अब तक िजतन
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थोड़ी छ ु ट! भी चा1हए पर मेरा यह मानना था 9क भी उपSयास #लखे, उनक #लए दस-दस घंट बैठ
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अगर इसक #लए कलह कdगी तो समय नMट कर #लखा, कोई चार सौ पेज का, कोई तीन सौ
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होता, जो मेर पास पहल ह! कम ह। Pववाह क पेज का, उनक मgन छह-छह, सात-सात ाट
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पfचीस बरस पहल ह! बीते चुक हg। एक बात कह तैयार 9कए &य'9क मझे तसnल! ह! नह!ं होती थी
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मीना ी, कलह करना मेर बस का ह! नह!ं ह, या 9क मgन सह! #लख 1दया ह। एक राजेS\ यादव जी
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तो कह मेर वभाव म ह! नह!ं ह। तो घर म मgन थे, उनको हम 1दखाते थे, वह हमार गाइड थे, इस
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कभी लड़ाई-झगड़ा नह!ं 9कया, उन पर ह! छोड़ Pवषय म। उनको मg कहानी का पुरोधा मानती थी।
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1दया 9क तुम को िजतना लड़ना हो, लड़ लो, मg वह 9कसी को भी Pव|याथ क> तरह सीखा सकते
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तो क ु छ कहगी नह!ं। हमार! 6ी Pवमश क> ि 6यां थे, ऐसा मुझे लगता था और लोग' को तो और भी
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यह भी कह सकती ह 9क मg दब रह! थी, जवाब बहत क ु छ लगता था। राज\ यादव जी और मुझे
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नह!ं द रह! थी। कई बार जवाब 1दया भी और लेकर तरह-तरह क> बात बनाई और कह! गई।
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कड़ा जवाब 1दया ले9कन अUधकतर चुप रहना मुझे यह पता ह 9क वह #श क थे मेर कहानी क
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~य कर समझा। मुझे लगता था 9क अगर मg और मg उनक> Pव|याथ थी। मg अपने उपSयास क
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लड़ंगी तो मेरा ह! नुकसान होगा। मg #लख नह!ं ाट उSह 1दखाती थी, पांडु#लPप 1दखाती थी।
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पाऊगी और #लखना मेरा एक लय था, िजसक उSह'ने भी मेर! लगभग सभी पांडु#लPपय' को पढ़ा
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#लए मुझे ह! संयम रखना था। बस इसी तरह स और जब वह ओक करते थे, तब मg उSह छपने क
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#लखती चल! गई। अगर मg अपन टाइम टबल क> #लए द दती थी, इस च&कर म मgने पांच-पांच सौ
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बात कd तो प%त जब काम पर चल जाते थे, पSन' क सात-सात ाट #लखे। राज7\ यादव जी
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बे1टयां बड़ी हो गई थी, एक एमबीबीएस कर रह! भी ताVजुब करते थे 9क तुम शुd से #लखने बैठ
थी, एक क> तो शाद! भी हो गई थी, तो जब घर जाती हो उपSयास को, मg कहती थी हां, पैबSद
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पर कोई नह!ं होता था तो मg #लखती थी। 9फर लगेगा तो अfछा नह!ं लगगा &य'9क पा6 गड़बड़
जब लंच टाइम हो जाता था तो मg जnद! स 9ज करते हg। हमने कह!ं पा6 का काय बदल 1दया तो
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को खोलकर दखती थी 9क &या-&या सhजी ह, हम आग चलकर जब हम #लखन पर आएंग तो
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मुझे &या-&या बनाना ह, 9फर रसोई का थोड़ा वह हमार! कलम क> बात मानेगा, मानेगा 9क नह!ं
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+बंध करक, खाना खान क बाद यह तो आराम मानेगा तो मg हर ाट को शुd स #लखती थी
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मई – जुलाई 12 लोक ह ता र